________________ // 399 // // 400 // // 401 // // 402 // // 403 // // 404 // एत्थ य चउगइजलहिम्मि परिब्भमंतेहिं सयलजीवेहिं / जायं मयं च सहिओ अणंतसो दुक्खसंघाओ सो नत्थि पएसो तिहुयणम्मि तिलतुसतिभागमेत्तो वि। जाओ न जत्थ जीवो चुलसीईजोणिलक्खेसु सव्वाणि सव्वलोए अणंतखुत्तो वि रूविदव्वाई। देहोवक्खर परिभोय भोयणत्तेण भुत्ताई मयरहरो व्व जलेहिं तहवी हु दुप्पूरओ इमो अप्पा। विसयामिसम्मि गिद्धो भवे भवे वच्चइ न तत्ति इयभुत्तं विसयसुहं दुहं च तप्पच्चयं अणंतगुणं / इण्हेिं भवदुहदलणम्मि जीव ! उज्जमसु जिणधम्मे बीयट्ठाणमुवटुंभहेयवो चिंचिउं सरूवं च। .. को होज्ज सरीरम्मि वि सुइवाओ मुणियतत्ताणं? बीयं सुक्कं तह सोणियं च ठाणं तु जणणिगब्मम्मि / ओयं तु उवटुंभस्स कारणं तस्सरूवं तु अट्ठारस पिट्ठिकरंडयस्स संधीओ होंति देहम्मि। . बारस पंसुलियकरंडया इहं तह छ पंसुलिए होइ कडाहे सत्तंगुलाई जीहा पलाइं पुण चउरो / अच्छीओ दो पलाई सिरं च भणियं चउकवालं अछुट्टपलं हिययं बत्तीसं दसण अट्ठिखंडाई / कालेज्जयं तु समए पणवीस पलाइं निद्दिटुं अंताई दोन्नि इहई पत्तेयं पंचपंचवामाओ / सट्ठसयं संधीणं मम्माण सयं तु सत्तहियं सट्ठसयं तु सिराणं नाभिप्पभवाण सिरमुवगयाणं / ' रसहरणिनामधिज्जाण जाणऽणुग्गह विघाएसु 122 // 405 // / / 406 // // 407 // // 408 // // 409 // // 410 //