________________ // 387 // // 388 // // 389 // // 390 // // 391 // // 392 // तत्तो वज्जेण सिरम्मि ताडिओ विलवमाणओ दीणो। उक्कोसेणं वियणं अणुभुंजइ जाव छम्मासं ईसाए दुही अन्नो अन्नो वेरियणकोवसंतत्तो / अन्नो मच्छरदुहिओ नियडीए विडंबिओ अन्नो अन्नो लुद्धो गिद्धो य मुच्छिओ रयणदारभवणेसु / अभिओगजणियपेसत्तणेण अइदुक्खिओ अन्नो पज्जते उण झीणम्मि आउए निव्वडंततणुकंपे। तेयम्मि हीयमाणे जायंते तह विवज्जासे आणं विलुपमाणे अणायरे सयलपरियरजणम्मि / तं रिद्धिं पुरओ पुण दारिद्दभरं नियंताणं रयणमयपुत्तियाओं व सुवन्नकंतीओ तत्थ भज्जाओ। पुरओ उण काणं कुज्जियं च असुई च बीभत्थं तत्थ वि य दुव्विणीयं किलेसलंभं पियं मुणंताणं / नत्थि मणिच्छियआहार विसयवत्थाइ सुहियाणं .. पुरओ परघरदासत्तणेण विण्णायउयरभरणाणं / मियाइं तत्थ रमणिज्जकप्पतरुगहणदेसेसु पुरओ गब्भे य ठिइं दळु दुट्ठाइ रासहीए वा। सा उप्पज्जइ अरई सुराण जं मुणइ सव्वन्नू अज्ज वि य सरागाणं मोहविमूढाण कम्मवंसगाणं / अन्नाणोवहयाणं देवाण दुहम्मि का संका ? सम्मद्दिट्ठीण वि गब्भवासपमुहं दुहं धुवं चेव। हिंडंति भवमणंतं च केइ गोसालयसरित्था तम्हा देवगईए वि जं तित्थयराणं समवसरणाई। कीरइ वेयावच्चं सारं मन्नामि तं चेव // 393 // // 394 // // 395 // // 396 // // 397 // // 398 // '121