________________ // 363 // // 364 // // 365 // // 366 // / 367 // // 368 // रत्तारत्तवईणं महानइणं तओऽवराणं पि / उभयतडमट्टियं तह जलाई गिण्हंति सयलाणं गंतूण चुल्लहिमवंतसिंहरिपमुहेसु कुलगिरिदेसु / सव्वाई तु वरओसहिसिद्धत्थयगंधमल्लाइं गिण्हंति वट्टवेयढसेलसिहरेसु चउसु एमेव / विजएसु जाई मागहवरदामपभासतित्थाई गिण्हंति सलीलमट्टियमंतरनइसलिलमेव उवणेति / वक्खारगिरीसु वणम्मि भद्दसालम्मि तुवराई नंदणवणम्मि गोसीसचंदणं सुमणदामसोमणसे। पंडगवणम्मि गंधा तुवराईणि य विमीसंति तो गंतुं सट्ठाणं ठविउं सीहासणम्मि ते देवं / / वरकुसुमदामचंदणचच्चियपउमप्पिहाणेहिं कलसेहिं हवंति सुरा केई गायंति तत्थ परितुट्ठा / वायंति दुंदुहीओ पढंति बंदि व्व पुण अन्ने. रयणकणयाइवरिसं अन्ने कुव्वंति सीहनायाई / इय महया हरिसेणं अहिसित्तो तो समुद्रुउं उद्धय मुयंगदुंदुहिरवेण सुरयणसहस्सपरिवारो। सोऽलंकारसभाए गंतुं गिण्हइ अलंकारे . गंतुं ववसायसभाए वायए रयणपोत्थयं तत्तो। तवणिज्जमयक्खरऽमर किच्चनयमग्ग पायडणं पूओवगरणहत्थो नंदापोक्खरिणिविहियजलसोओ। सिद्धाययणे पूयइ वंदइ भत्तीए जिणबिम्बे गंतूण सुहम्मसभं तत्तो अच्चइ जिणिंदसगहाओ। सीहासणे तहिं चिय अत्थाणे विसइ इंदो व्व - 110 // 369 // // 370 // // 371 // // 372 // // 373 // // 374 //