________________ इय चउपासोबद्धो गब्भे संवसइ दुक्खिओ जीवो। परमतिमिसंधयारे अमेज्झकोत्थलयमज्झे व // 267 // सूईहिं अग्गिवन्नाहि, भिज्जमाणस्स जंतूणो। जारिसं जायए दुक्खं, गब्भे अट्ठगुणं तओ // 268 // पित्तवसमंससोणियसुक्कट्ठिपुरीसमुत्तमज्झम्मि / असुइम्मि किमि व्व ठिओ सि जीव ! गब्भम्मि निरयसमे // 269 // इय कोइ पावकारी बारस संवच्छराइं गब्भम्मि। उक्कोसेणं चिट्ठइ असुइप्पभवे असुइम्मि // 270 // तत्तो पाएहि सिरेण वा वि सम्मं विणिग्गमो तस्स / तिरियं णिग्गच्छंतो विणिघायं पावए जीवो // 271 // गब्भदुहाई दऔं जाईसरणेण नायसुरजम्मो / सिरितिलयइब्भतणओ अभिग्गहं कुणइ गीयत्थो // 272 // अइविस्सरं रसंतो जोणीजंताओ कह वि णिप्फिडइ। माऊए अप्पणो वि य वेयणमउलं जणेमाणो // 273 / / जायमाणस्स जं दुक्खं, मरमाणस्स जंतुणो। तेण दुक्खेण संतत्तो, न सरई जाइमप्पणो // 274 // दाहिणकुच्छीइ वसिओ पुत्तो वामाए पुण हवइ धूया। उभयंतरम्मि वसिओ जायेइ नपुंसओ जीवो // 275 // छुहियं पिवासियं वा वाहिग्घत्थं च अत्तयं कहिउं / बालत्तणम्मि न तरइ गमइ रुयंतो च्चिय वराओ // 276 // खेलखरंटियवयणो मुत्तपुरीसाणुलित्त सव्वंगो। धूलिभुरुंडिय देहो कि सुहमणुहवइ किर बालो? // 277 // खिवंइ करं जलणम्मि वि पक्खिवइ मुहम्मि कसिणभुयंगं पि। .. भुंजइ अभोज्जपेज्जं बालो अन्नाणदोसेण // 278 // . . . 111 111