________________ सत्ताहं कललं होइ, सत्ताहं होइ अब्बुयं / अब्बुया जायए पेसी, पेसीओ य घणं भवे // 255 // होइ पलं करिसूणं पढमे मासम्मि बीयए पेसी। होइ घणा तइए उण माऊण दोहलं जणइ // 256 // जणणीए अंगाई पीणेइ चउत्थयम्मि मासम्मि। करचरणसिरंकूरा पंचमए पंच जायंति // 257 // छट्ठम्मि पित्तसोणिय सुबद्धठिइ सत्तमम्मि मासम्मि। पेसि पंचसयगुणं कुणइ सिराणं च सत्तसए // 258 // नव चेव य धमणीओ नवनउई लक्ख रोमकूकाणं / अधुट्ठा कोडीओ सम पुणो केसमंसूहि // 259 // निप्फन्नप्पाओ पुण जायइ सो अट्ठमम्मि मासम्मि। ओयाहाराईहि य कुणइ सरीरं समग्गं पि ' // 260 // दुन्नि अहोरत्तसए संपुण्णे सत्तसत्तरी चेव। गब्भगओ वसइ जीओ अद्धंमहोरत्तमन्नं च .. // 261 // उक्कोसं नवलक्खा जीवा जायंति एगगब्भम्मि। . उक्कोसेण नवण्हं सयाण जायइ सुओ एक्को // 262 // गब्भट्ठिआ वि काऊण संगामाईणि गरुयपावाई। वच्चंति के वि नरयं अन्ने उण जंति सुरलोयं // 263 // नवलक्खाण वि मज्जे जायइ एगस्स दुण्ह व समत्ती। सेसा पुण एमेय य विलयं वच्चंति तत्थेव // 264 // सुयमाणीए माऊइ सुयइ जागरइ जागरंतीए / सुहियाइ हवइ सुहिओ दुहियाए दुक्खिओ गब्भो // 265 / / कइया वि हु उत्ताणो कइया वि हु होइ एगपासेण। कइया वि अंबखुज्जो जणणीचेट्ठाणुसारेण ' || 266 // 110