________________ // 243 / / // 244 // // 245 // // 246 // // 247 // // 248 // इयतिरियमसंखेसुं दीवसमुद्देसुं उड्ढमहलोए / विविहा तिरिया दुक्खं च बहुविहं केत्तियं भणिमो? हिमपरिणयसरिसरोवरेसु सीयतुसारसुढियंगा। हिययं फुडिऊण मया बहवे दीसंति जं तिरिया वासारत्ते तरुभूमिनिस्सिया रनजलपवाहेहिं / वुझंति असंखा तह मरंति सीएण विज्झडि को ताण अणाहाणं स्ने तिरियाण वाहिविहुराणं / भुयगाइडंकियाण य कुणइ तिगिच्छं व मंतं वा ? वसणच्छेयं नासाइविंधणं पुच्छकनकप्परणं / बंधणताडणडंभणदुहाई तिरिएसुऽणंताई मुद्धजणवंचणेणं कूडतुलाकूडमाणकरणेण / . अट्टवसट्टोवगमेण देहघरसरणचिंताहिं कूडक्कयकरणेणं अणंतसो नियडिनडियचित्तेहिं / सावत्थीवणिएहिं व तिरियाउं बज्झए एयं कालमणंतं एगिदिएसु संखेज्जयं तु णिरएसु / काऊण केइ मणुया होति अतो तेण ते भणिमो . कम्मेयरभूमिसमुब्भवाइभेएणऽणेगहा मणुया। ताण वि चिंतसु जइ अस्थि किं पि परमत्थओ सोक्खं गब्भे बालत्तणयम्मि जोव्वणे तह य वुड्ढभावम्मि। चिंतसु ताण सरूवं निउणं चठसु वि अवत्थासु मोहनिवनिगडंबद्धो कत्तो वि हु कड्ढिओ असुइगब्भे / चोरो व्व चारयगिहे खिप्पइ जीवो अणप्पवसो सुकं पिउणो माऊए सोणियं तदुभयं पि संसहूँ। तप्पढमयाए जीवो आहारइ तत्थ उप्पन्नो 109 // 249 // // 250 // // 251 // // 252 // // 253 // // 254 //