________________ // 279 // // 280 // // 281 // // 282 // // 283 // // 284 // उल्लसइ भमइ कुक्कुयइ कीलइ जंपइ बहुं असंबद्धं / धावइ निरत्थयं पि हु निहणंतो भूयसंघायं इय असमंजसचेट्ठिय अन्नाणऽविवेय कुलहरं गमियं / जीवेणं बालत्तं पावसयाइं कुणंतेण बालस्स वि तिव्वाइं दुहाइँ दळूण निययतणयस्स। बलसारपुहइवालो निम्विन्नो भवनिवासस्स . तरुणत्तणम्मि पत्तस्स धावए दविणमेलणपिवासा। " सा का वि जीई न गणइ देवं धम्मं गुरुं तत्तं तो मेलइ कह वि अत्थे जइ तो मुज्झइ तयं पि पालंतो। बीहेइ राइतक्कर अंसहराईण निच्चं पि वड्ढते उण अत्थे वड्ढइ इच्छा वि तह वि कह दूरं। जह मम्मणवणिओ इवं संते वि धणे दुही होइ लद्धं पि धणं भोत्तुं न पावए वाहिविहुरिओ अन्नो। पत्थोसहाइनिरओ त्ति केवलं नियइ नयणेहिं . जइ पुण होइ न पुत्तो अहवा जाओ वि होइ दुस्सीलो। तो तह झिज्झइ अंगे जह कहिउं केवली तरइ अन्ने उ जुवाणा संजुत्ता रत्तुप्पलकोमलतलेहिं। सोणनहसयललक्खण-लक्खियकुम्मुन्नय पएहिं सुसिलिट्ठगूढगुप्फा एणीजंघा गइंदहत्थोरू / हरिकडियला पयाहिणसुरसलिलावत्तनाभीया वरवइरवलियमज्झा उन्नयकुच्छी सिलिट्ठमीणुयरा / कणयसिलयलवच्छा पुरगोउर परिहभुयदंडा वरवसहुन्नयखंधा चउरंगुलकंबुगीव कलिया य। सदूलहणू बिंबीफलाहस ससिसमकवोला 112 // 285 // // 286 // // 287 // // 288 // // 289 // // 290 //