________________ // 51 // // 52 // // 53 // // 54 // // 55 // // 56 // सिंचइ उरत्थलं तुह अंसुपवाहेण किं पि रुयमाणं / उवरिट्ठियं कुडुम्बं तं पि सकज्जेक्कतल्लिच्छं धणधन्नरयणसयणाइया य सरणं न मरणकालम्मि। जायंति जए कस्स वि अन्नत्थ वि जेणिमं भणियं अत्थेण नंदराया न रक्खिओ गोहणेण कुइअन्नो / धन्नेण तिलयसेट्ठी पुत्तेहिं न ताइओ सगरो इय नाऊण असरणं अप्पाणं गयउराहिवसुओ व्व। जरमरणवल्लिविच्छित्तिकारए जयसु जिणधम्मे एक्को कम्माइं समज्जिणेइ भुंजइ फलं पि तस्सेक्को / एक्कस्स जम्ममरणे परभवगमणं च एक्कस्स सयणाणं मज्झगओ रोगाभिहओ किलिस्सइ अहेगी। सयणो वि य से रोगं न विरिंचइ ने य अवणेइ मज्झम्मि बंधवाणं सकरुणसद्देण पलवमाणाणं.। मोत्तुं विहवं सयणं च मच्चुणा हीरए एक्को . पत्तेयं पत्तेयं कम्मफलं निययमणुहवंताणं / को कस्स जए सयणो? को कस्स परजणो एत्थ? को केण समं जायइ ? को केण समं परं भवं वयइ। . को कस्स दुहं गिण्हइ ? मयं च को कं नियत्तेइ ? अणुसोयइ अन्नजणं अन्नभवंतरगयं च बालजणो। नय सोयइ अप्पाणं किलिस्समाणं भवे एवं पावाई बहुविहाइं करेइ सुयसयणपरियणणिमित्तं / निरयम्मि दारुणाओ एक्को च्चिय सहइ वियणाओ कूडक्कय परवंचणवीससियवहा य जाण कज्जम्मि। पावं कयमिण्डिं ते ण्हाया धोया तडम्मि ठिया // 57 // // 58 // // 59 // // 60 // // 61 // // 62 //