________________ जुवइहिं सह कुणंतो, संसग्गिं कुणइ सयलदुक्खेहिं / नहि मुसगाणं संगो, होइ सुहो सह बिडालेहिं . // 54 // हरिहरचउराणणचंदसुर.- खंदाइणो वि जे देवा। नारीण किंकरतं, कुणंति धिद्धी विसयतिण्हा // 55 // सीअंच उण्हं च सहति मूढा, इत्थीसु सत्ता अविवेअवंता।। इलाइपुत्तं व चयंति जाई, जीअंच नासंति अ रावणु व्व // 56 // वुत्तूण वि जीवाणं, सुदुक्कराई ति पावचरियाई / 'भयवं जा सा सा सा,' पच्चाएसो हु इणमो ते // 57 // जललवतरलं जीअं, अथिरा लच्छी वि भंगुरो देही। तुच्छा य कामभोगा, निबंधणं दुक्खलक्खाणं // 58 // नागो जहा पंकजलावसन्नो, दटुं थलं नाभिसमेइ तीरं / एवं जीआ कामगुणेसु गिद्धा, सुधम्ममग्गे न रया हंवंति // 59 // जह विट्ठपुंजखुत्तो, किमी.सुहं मन्नए सयाकालं। तह विसयासुइरत्तो, जीवो वि मुणइ सुहं मूढो . // 60 // मयरहरो व जलेहि, तह वि हु दुप्पूरओ इमे आया। विसयामिसम्मि गिद्धो, भवे भवे वच्चइ न तत्ति // 61 // विसयविसट्टा जीवा, उब्भंडरूवाइसु विविहेसु / भवसयसहस्सदुलहं, न मुणंति गयं पि निअजम्म // 62 // चिळंति विसयविवसा, मुत्तूण लज्जं पि के विगयसंका / न गणंति के वि मरणं, विसयंकुससल्लिआ जीवा // 63 // विसयविसेणं जीवा, जिणधम्मं हारिऊण हा नरयं / वच्चंति जहा चित्तयनिवारिओ बंभदत्तनिवो // 64 // घिद्धी ताण नराणं, जे जिणवयणामयं पि मुत्तूणं / चउगइविडंबणकरं, पीयंति विसयासवं घोरं // 65 //