________________ // 80 // कुणसि ममत्तं धणसयणविहवपमुहेसु णंतदुक्खेसु / सिढिलेसि आयरं पुण, अणंतसुक्खम्मि मुक्खम्मि // 77 // संसारो दुहहेऊ दुक्खफलो दुसहदुक्खरूंवो य। न चयंति तं पि जीवा, अइबद्धा नेहनिअलेहिं // 78 // नियकम्मपवणचलिओ, जीवो संसारकाणणे घोरे। का का विडंबणाओ, न पावए दुसहदुक्खाओ // 79 // सिसिरम्मि सीयलानिल-लहरिसहस्सेहि भिन्नघणदेहो / तिरियत्तणम्मि रण्णे, अणंतसो निहणमणुपत्तो गिम्हायवसंतत्तो, रण्णे छुहिओ पिवासिओ बहुसो / संपत्तो तिरियभवे, मरणदुहं बहु विसूरंतो // 81 // वासासु रण्णमझे, गिरिनिज्झरणोदगेहि वज्झंतो। सीआनिलडज्झविओ, मओसि तिरियत्तणे बहुसो // 82 // एवं तिरियभवेसुं, कीसंतो दुक्खसयसहस्सेहिं / वसिओ अणंतखुत्तो, जीवो भीसणभवारण्णे // 83 // दुट्ठट्ठकम्मपलया-निलपेरिउ भीसणम्मि भवरण्णे / हिंडंतो नरएसु वि, अणंतसो जीव ! पत्तो सि // 84 // सत्तसु नरयमहीसुं, वज्जानलदाहसीअविअणासुं। वसिओ अणंतखुत्तो, विलवंतो करुणसद्देहिं // 85 // पियमायसयणरहिओ, दुरंतवाहीहिं पीडिओ बहुसो। मणुयभवे निस्सारे, विलविओ किं न तं सरसि ? // 86 // पवणु व्व गयणमग्गे, अलक्खिओ भमइ भववणे जीवो।... ठाणट्ठाणम्मि समुज्झिऊण धणसयणसंघाए . // 87 // विधिज्जंता असयं, जम्मजरामरणतिक्खकुंतेहिं . दुहमणुहवंति घोरं, संसारे संसरंत जिया // 88 // 82