________________ तण्हा अणंतखुत्तो, संसारे तारिसी तुम आसी। जंपसमेउं सव्वो-दहीणमुदयं न तीरिज्जा // 65 // आसी अणंतखुत्तो, संसारे ते छुहा वि तारिसिया / जं पसमेउं सव्वो, पुग्गलकाओ वि न तरिज्जा // 66 // काऊणमणेगाइं, जम्मणमरणपरियट्टणसयाई / दुक्खेण माणुसत्तं, जइ लहइ जहिच्छियं जीवो // 67 // तं तह दुल्लहलंभं, विज्जुलयाचंचलं च मणुअत्तं / धम्मम्मि जो विसीयइ, सो काउरिसो न सप्पुरिसो // 68 // माणुस्सजम्मे तडिलद्धयम्मि, जिणिदधम्मो न कओ य जेणं / तुट्टे गुणे जह धाणुक्कएणं, हत्था मलेयव्वा अवस्स तेणं // 69 // रे जीव ! निसुणि चंचलसंहाव, मिल्हेविणु सयल वि बज्झभाव। नवभेयपरिग्गहविविहजाल, संसारि अस्थि सहु इंदयालं // 70 // पियपुत्तमित्तघरघरणिजाय, इहलोइअ सव्व नियसुहसहाय / न वि अस्थि कोइ तुह सरणि मुक्ख!, इक्कल्लु सहसि तिरिनिरयदुक्ख 71 कुसग्गे जह ओसबिंदुए, थोवं चिट्ठइ लंबमाणए / एवं मणुआण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए // 72 // संबुज्झह किं न बुज्झह ?, संबोहि खलु पिच्च दुल्लहा / न हु उवणमंति राइओ, नो सुलहं पुणरवि जीवियं // 73 // डहरा वुड्डा य पासह, गब्भत्था वि चयंति माणवा / सेणे जह वट्ठाय हरे, एवं आउखयम्मि तुट्टइ // 74 // तिहुयणजणं मरंतं, दट्ठण नयंति जे न अप्पाणं / विरमंति न पावाओ, घिद्धी धिट्टत्तणं ताणं // 75 // मा मा जंपह बहुअं, जे बद्धा चिक्कणेहिं कम्मेहिं। सव्वेसि तेसिं जायइ, हिओवएसो महादोसो // 76 // . . . 81.