________________ उवलद्धो जिणधम्मो, न य अणुचिनो पमायदोसेणं / हा ! जीव ! अप्पवेरिअ, सुबहुं पुरओ विसूरिहिसि // 53 // सोअंति ते वराया, पच्छा समुवट्ठियम्मि मरणम्मि। पावपमायवसेणं, न संचियो जेहिं जिणधम्मो * // 54 // धी धी धी संसारे, देवो मरिऊण जं तिरी होइ / मरिऊण रायराया, परिपच्चइ निरयजालाहिं // 55 // जाइ अणाहो जीवो, दुमस्स पुष्पं व कम्मवायहओ। धणधन्नाहरणाई, घरसयणकुडुंबमिल्हे वि // 56 // वसियं गिरिसु वसियं, दरीसु वसियं समुद्दमज्झम्मि। रुक्खग्गेसु य वसियं, संसारे संसरंतेणं / // 57 // देवो नेरइउ त्ति य, किडपयंगु त्ति माणुसो एसो। रूवस्सी य विरूवो, सुहभागी दुक्खभागी य / // 58 // राउ ति य दमगु त्ति य, एस सवागुत्ति एस वेयविऊ / सामी दासो पुज्जो, खलोत्ति अधणो धणवइ त्ति .. // 59 // न वि इत्थ कोइ नियमो, सकम्मविणिविट्ठसरिसकयचिट्ठो। अन्नुन्नरूववेसो, नडु व्व परियत्तए जीवो // 60 // नरएसु वेयणाओ, अणोवमाओ असायबहुलाओ। रे जीव ! तए पत्ता, अणंतखुत्तो बहुविहाओ __61 // देवत्ते मणुअत्ते, पराभिओगत्तणं उवगएणं / भीसणदुहं बहुविहं, अणंतखुत्तो समणुभूयं // 62 // तिरियगई अणुपत्तो, भीममहावेयणा अणेगविहा / जम्मणमरणरहट्टे, अणंतखुत्तो परिब्भमिओ // 63 // जावंति के वि दुक्खा, सारीरा माणसा व संसारे। पत्तो अणंतखुत्तो, जीवो संसारकंतारे 80 // 64 //