________________ // 44 // जस्सऽस्थि मच्चुणा सक्खं, जस्स वऽत्थि पलायणं / जो जाणे न मरिस्सामि, सो हु कंखे सुहेसिया / // 41 // दंडकलियं करिता, वच्चंति हु राइओ अ दिवसा य। . आउसं संविलंता, गया वि न पुणो नियत्तंति // 42 // जहेह सीहो व मियं गहाय, मच्चू नरं णेइ हु अंतकाले / ण तस्स माया व पिया व भाया, कालम्मि तम्मि सहरा भवंति।। 43 // जीअं जलबिन्दुसमं, संपत्तीओ तरंगलोलाओ। सुमिणयसमं च पिम्मं, जं जाणसु तं करिज्जासु संझरागजलबुब्बुओवमे, जीविए य जलबिंदु चंचले। जुव्वणे य नइवेगसंनिभे, पावजीव ! किमियं न बुज्झसि // 45 // अन्नत्थ सुया अन्नत्थ, गैहिणी परियणो वि अन्नत्थ / भूयबलि व्व कुटुंब, पक्खित्तं हयकयंतेण // 46 // जीवेण भवे भवे मिलियाइ देहाइं जाई संसारे। .. ताणं न सागरेहिं, कीरइ संखा अणंतेहिं // 47 // नयणोदयं पि तासिं, सागरसलिलाउ बहुयरं होइ। गलियं रूअमाणीणं, माऊणं अनमन्नाणं // 48 // जं नरए नेरइया, दुहाई पावंति घोरणंताई। ... तत्तो अणंतगुणियं, निगोयमज्झे दुहं होइ // 49 // तम्मि वि निगोयमझे, वसिओ रे जीव ! विविहकम्मवसा। विसहतो तिक्खदुहं, अणंतपुग्गलपरावत्ते // 50 // नीहरिय कह वि तत्तो, पत्तो मणुयत्तणं पि रे जीव ! / तत्थ वि जिणवरधम्मो, पत्तो चिंतामणिसरिच्छो // 51 // पत्ते वि तम्मि रे जीव!, कुणसि पमायं तुमं तयं चेव।। जेणं भवंधकूवे, पुणो वि.पडिओ दुहं लहसि / / 52 //