________________ अह दुक्खियाई तह भुक्खियाइं जह चिंतियाई डिभाई। तह थोवं पि न अप्पा, विचिंतिओ जीव ! किं भणिमो? // 29 // खणभंगुरं सरीरं, जीवो अण्णो य सासयसरूवो। कम्मवसा संबंधो, निब्बंधो इत्थ को तुज्झ? // 30 // कह आयं कह चलियं, तुमं पि.कह आगओ कहं गमिही। अन्नुन्नं पि न याणह, जीव ! कुडुंबं कओ तुज्झ? . // 31 // खणभंगुरे सरीरे, मणुयभवे अब्भपडलसारिच्छे। सारं इत्तियमेत्तं, जं कीरइ सोहणो धम्मो // 32 // जम्मदुक्खं जरादुक्खं, रोगा य मरणाणि य।। अहो ! दुक्खो हु संसारो, जत्थ कीसंति जंतुणो जाव न इंदियहाणी, जाव न जररक्खसी परिप्फुरइ / जाव न रोगवियारा, जाव न मच्चू समुल्लियइ // 34 // जह गेहम्मि पलित्ते, कूवं खणिउं न सक्कए कोइ। तह संपत्ते मरणे, धम्मो कह कीरए ? जीव ! // 35 // रूवमसासयमेयं, विज्जुलयाचंचलं जए जीयं / संझाणुरागसरिसं, खणरमणीयं च तारुण्णं // 36 // गयकण्णचंचलाओ, लच्छीओ तियसचावसारिच्छं। विसयसुहं जीवाणं, बुज्झसु रे जीव ! मा मुज्झ // 37 // जह संझाए सउणाण संगमो जह पहे अ पहियाणं / सयणाणं संजोगा, तहेव खणभंगुरा जीव ! // 38 // निसाविरामे परिभावयामि, गेहे पलित्ते किमहं सुयामि / डझंतमप्पाणमुविक्खयामि, जं धम्मरहिओ दिअहा गमामि // 39 // जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई। " अहम्मं कुणमाणस्स, अहला जंति राइओ . // 40 // 78