________________ // 17 // // 18 // / / 19 // // 20 // // 21 // // 22 // घोरम्मि गब्भवासे, कलमलजंबालअसुइबीभच्छे / वसिओ अणंतखुत्तो, जीवो कम्माणुभावेणं चुलसीई किर लोए, जोणीणं पमुहसयसहस्साई। इक्विक्कम्मि अ जीवो, अणंतखुत्तो समुप्पन्नो मायापियबंधूहि, संसारत्थेहिं पूरिओ लोओ। बहुजोणिनिवासीहिं, न य ते ताणं च सरणं च जीवो वाहिविलुत्तो, सफरो इव निजले तडप्फडइ / सयलो वि जणो पिच्छइ, को सक्को वेयणाविगमे? मा जाणसि जीव! तुमं, पुत्तकलत्ताइ मज्झ सुहहेऊ / निठणं बंधणमेयं, संसारे संसरंताणं . जणणी जायइ जाया, जाया माया पिया य पुत्तो य।. अणवत्था संसारे, कम्मवसा सव्वजीवाणं न सा जाई न सा जोणी, न तं ठाणं न तं कुलं / . नं जाया न मुया जत्थ, सव्वे जीवा अणंतसो . तं किं पि नत्थि ठाणं, लोए वालग्गकोडिमित्तं पि। जत्थ न जीवा बहुसो, सुहदुक्खपरंपरं पत्ता / सव्वाओ रिद्धीओ, पत्ता सव्वे वि सयणसंबंधा। संसारे ता विरमसु, तत्तो जइ-मुणसि अप्पाणं .. एगो बंधइ कम्म, एगो वहबंधमरणवसणाई। विसहइं भवम्मि भमडइ, एगु च्चिय कम्मवेलविओ अन्नो म कुणइ अहियं, हियं पि अप्पा करेइ न हु अनो। अप्पकयं सुहदुक्खं, भुंजसि ता कीस दीणमुहो ? बहुआरंभविढत्तं, वित्तं विलसंति जीव ! सयणगणा / तज्जणियपावकम्मं, अणुहवसि पुणो तुमं चेव // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // 77