________________ तह वि खणं पि कया वि हु, अन्नाणभुअंगडंकिआ जीवा / संसारचारगाओ, न य उव्विज्जति मूढमणा. // 89 // कीलसि कियंतवेलं, सरीरवावीइ जत्थ पइसमयं / कालरहट्टघडीहिं, सोसिज्जइ जीवियंभोहं // 90 // रे जीव ! बुज्झ मा मुज्झ मा पमायं करेसि रे पाव!। किं परलोए गुरुदुक्खभायणं होहिसि ? अयाण ! // 91 // बुज्झसु रे जीव ! तुमं, मा मुज्झसु जिणमयं पि नाऊणं / जम्हा पुणरवि एसा, सामग्गी दुल्लहा जीव ! // 92 // दुलहो पुण जिणधम्मो, तुमं पमायायरो सुहेसी य / दुसहं च नरयदुक्खं, कह होहिसि तं न याणामो // 93 // अथिरेण थिरो समलेण निम्मलो परवसेण साहीणो। देहेण जइ विढप्पइ, धम्मो ता किं न पज्जत्तं ? // 94 // जह चिंतामणिरयणं, सुलहं न हु होइ तुच्छविहवाणं / गुणविहववज्जियाणं, जियाण तह धम्मरयणं पि. // 95 // जह दिट्ठीसंजोगो, न होइ जच्चंधयाण जीवाणं / तह जिणमयसंजोगो, न होइ मिच्छंधजीवाणं // 96 // पच्चक्खमणंतगुणे, जिणिदधम्मे न दोसलेसो वि। तह वि हु अन्नाणंधा, न रमंति कया वि तम्मि जिया // 97 // मिच्छे अणंतदोसा, पयडा दीसंति न वि य गुणलेसो। तह विय तं चेव जिया, ही ! मोहंधा निसेवंति // 98 // धिद्धी ताण नराणं, विन्नाणे तह गुणेसु कुसलत्तं / सुहसच्चधम्मरयणे, सुपरिक्खं जे न जाणंति // 99 // जिणधम्मो य जीवाणं, अपुव्वो कप्पपायवो / सग्गापवग्गसुक्खाणं, फलाणं दायगो इमो // 100 // 83