________________ // 81 // // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 // तं पि अणुमोअणाए विसओभिणिवेसिणो विसेसेण / जं तस्स तिव्वदोसो हविज्ज आगाढतरमिच्छं जं तेण सुगुरुवयणा करिज्जमाणे पसंसिए संते। तस्स गुरुस्सुवएसो पसंसिओ सनिअसत्थो अ उवएसपसंसाए पसंसिआ जिणमयस्स निंदा वि। जं सा तस्सुवएसे णियया णिजमग्गरागेण तीए सो उम्मग्गो संसारपहो अ जिणमए भणिओ। तं चेव पसंसंतो जिणवरआसायगो णिअमा तेणं जिणमयसरिसं अप्पं बहुअं व परमए किंची। घुणअक्खरं व विहलं पयसंजमकारणाभावा अप्पं जिणमयसरिसं अभिगहिअस्सेव बंभचेराई / बहुअं अरिहंताइअ-णामेहि अभिणिवेसिस्स जुगवं तित्थं तित्थंकरो ण एगो अणेगतित्थाणं / . णो बहुतित्थगरा खलु, हवंति एगस्स तित्थस्स तेणं संपइकाले, तित्थं पुण एगमेव सम्मं ति / सेसं सव्वं णिअमइ-विगप्पिअं सरिसनामेहिं जइ एगो तित्थयरो अणेगतित्थाण कारणं हुज्जा / ता तन्नमंसिआई तित्थाइ शमसणिज्जाई तेसि सव्वेसि चिअ, णिअणिअमग्गा हवंति तित्थाई / सेसं सव्वमतित्थं, इअ बुद्धी सासया तेर्सि एएणं सव्वेसि, एगो तित्थंकरो त्ति दुव्वयणं / सव्वेसिं तित्थाणं, आइगरा हुंति तित्थयरा तेसिं तित्थयरा पुण, सिवभूइप्पमुह णाम आइगरा / वीरजिणो अम्हाणं, तित्थयरो तं मह असच्चं . 53 // 87 // // 88 // // 89 // / / 90 // // 91 // // 92 //