________________ णिअपरतित्थगरत्ता, तित्थयरो णेव तेसि वीरजिणो। णिअतित्थं अण्णाओ, अण्णमतित्थं ति सद्दहणा // 93 // जो अण्णं तित्थयरं, अण्णं पिअरं व अन्नओ जाओ। जंपइ लोअविरुद्धं, अलज्जओ अहव गयसण्णो - // 94 // वीरजिणेणं ठविअं, तित्थमतित्थं ति भासगा सव्वे। माया मे वंज्झ अत्ति वयणविरोहं अयाणंता // 95 // तं तित्थं अच्छिण्णं जस्साइगरो ण लब्भइ अण्णो। वीराओ वीरेणं दुप्पसहंतं तयं भणिअं // 96 // वीरजिणो जइ देवो, तित्थयरत्तेण सच्चबाइ त्ति। ... ता तट्ठविअंतित्थं सेसमतित्थं सओ सिद्धं // 97 // लोइअदेवसरूवा, चंदप्पहमाइणो ण गुरुरूवा!। सीसत्ताभावाओ, गुरूवएसस्सणायत्तो . // 98 // तम्मूला पइमग्गं, भिण्णाभिण्णेव पकिरिआ हुज्जा / जह अण्णउत्थिआणं, अण्णाणस्सेव माहप्पा // 99 // तस्स य णिस्सं पत्तो जिणमयसत्ताविलोवगो पावो / अण्णत्थ णत्थि अत्थि अ इहेव दुहओ वि दुव्वयणो // 100 // तम्मुहधम्मिअसद्दा सोउमकप्पा तहा सुदिट्ठीणं / / सुगताइबुद्धिगहिआ जह जिणपडिमा वि परिचज्जा // 101 // तेणं सोभिनिविट्ठो दर्छ पि ण कप्पइ सुदिट्ठी णं / एयं वयणं दूरे तस्संबंधी सुदिट्ठी वि // 102 // सोऽ भिणिवेसी णिअमा अणंतसंसारदुक्खसलिलणिही। आसायणाइ बहलो जहा जमाली तउवणयओ . // 103 // मग्गट्ठिअस्साभोगा णाभोगा तह कहंचि णाभोगा। उस्सुत्तं तमणिअयं पाएण पओअणाभावा / // 104 // 54