________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 16 // // 17 // जह तरुअरम्मि सउणा, वियालए दसदिसागया वसिउं। जंति पहाए नवरं, न विज्जए के वि किंचि दिसि / घरतरुअरम्मि सयणा, चउगइसंसारबहुदिसागंतुं। वसिऊण पंच दिअहे, न नज्जए कत्थ वच्चंति ? अत्थो घरे निअत्तइ, बंधवसत्थो मसाणभूमीए। एगो अ जाइ जीवो, न किंचि अत्थेण सयणेण मच्चुकरहेण खज्जइ, जिअलोअवणं अपत्तफलकुसुमं / अनिवारिअपसरोधो, सदेवमणुआसुरलोए गब्भत्थं जोणिगयं, नीहरमाणं च तहय नीहरियं / बालं परिवडतं, डहरं तरुणं पि मज्झवयं तसरं पंडुरं थेरं, मच्चुविवाए वि पिच्छए सव्वं / पायाले वि पविटुं, गिरिगुहकंतारमज्झम्मि थलउअहिसिलसिंगे, आगासे वा भमंतयं जीवं / सुहिअं दुहिअं सरणं, रोरं मुक्खं विउं विरूअं रूवं वाहिअं निरूअं, दुब्बलं बलियं पि नेव परिहरइ / वणगयदवु व्व जलिङ, सयरायरपाणिसंघातं अत्थेण न छुट्टिज्जइ, बाहुबलेण न मंततंतेहिं / . ओसहमणिविज्जाहिअ, न धरा मच्चुस्स घडीआ वि जम्मजरामरणहया, सत्ता बहुरोगसोगसंतत्ता / हिंडंति भवसमुद्दे, दुक्खसहस्साइं च पावंता जम्मजरामरणत्ता, सत्ता पिअविप्पओगदुक्खत्ता / असरणा मरंति जंति अ, संसारे संसरंति सया असरणा मरंति इंदा, बलदेवा वासुदेवचक्कहरा। ता एअं नाऊणं, करेह धम्मुज्जमं तुरिअं __ 132 // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 //