________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // भीसणभवाडवीए, एगो जीवो सया वि असहाओ। कम्महओ अ भवालि, आहिंडइ विविहरूवेहि जह आगइ त्ति एगो, कडिदोरेणावि विरहिओ जीवो। गच्छिस्सइ तह वि अ, एगो छंडे वि सव्वं पि जाइ अणाहो जीवो, दुमस्स पुष्पं व कम्मवायहओ। धणधन्नाहरणाई, पिअपुत्तकलत्तमिल्हे वि अन्नस्स पेट्टसूले, अन्नस्स न वेअणा जहा होइ / तह अनेण कयाई, कम्माई न भुंजए अन्नो छंडेयव्वं देहं, अवस्स कइआ वि नत्थि संदेहो / ता छड्डणजोएणं, उवज्जिअव्वं सासयं सुक्खं तुच्छत्थिखंडसरिसा, विसया महानिहिसमं च मणुअत्तं / लद्धेण जेण मुक्खो, लहइ धम्मे निउत्तेण जह सव्ववाहिहरगं, गोसीसं चंदणं महग्धं पि। . दहिऊण कुणइ छारं, भायणनिम्मज्जणट्ठाए तह दुलहमहग्घेअं, मणुयत्तं दहइ छास्याणेइ। विसयाइट्ठीकज्जे, जो धम्मे तं न लाएइ सव्वट्ठसिद्धिवासी, देवा निवडंति आउए जिण्णे / तेत्तीससागराऊ, का गणणा इयरजीवेसु जं वोलीणं सुक्खं, तं वीसरिअं न तेण तत्तिगओ। संपइ समए सुक्खं, जं भुंजइ तं मुणइ एव तिलतुसवालग्गं पि हु, चउदसरज्जुम्मि इत्थ संसारे / जं असिऊण न मुक्कं, तं दव्वं नत्थि अणुअंपि सो नत्थित्थ पएसो, लोए तिविहे वि जत्थ न हु जाओ। न मओ अ वाहिगहिओ, जीवो भवभमणकंतारे // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // 133