________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // अभिषिक्तः सुरैर्लोकैस्त्रिभिर्भक्तः परैर्न कैः / वासुपूज्य मयीशेशस्त्वं सुपूज्यः क ईदृशः . चार्वस्यैव क्रमेजस्य तुङ्गः सायो नमनभात् / सर्वतो वक्त्रमेकास्यमङ्गं छायोनमप्यभात् क्रमतामक्रमं क्षेमं धीमतामय॑मश्रमम् / श्रीमद्विमलमर्चे वामकामं नम क्षमम् ततोमृतिमतामीमं तमितामतिमुत्तमः / मतोमातातिता तोत्तुं तमितामतिमुत्तमः नेतानतनुतेनेनोनितान्तं नाततो नुतात् / नेता न तनुते नेनो नितान्तं ना ततो नुतात् नयमानक्षमामान न मामार्यार्त्तिनाशन / नशनादस्य नो येन नये नोरोरिमाय न . वर्णभार्यातिनन्द्याव वन्द्यानन्त सदारव / वरदातिनताऱ्याव वातान्तसमार्णव नुन्नानृतोन्नतानन्त नूतानीतिनुताननः / . नतोनूनोनितान्तं ते नेतातान्ते निनौति ना त्वमवाध दमेनर्द्ध मत धर्मप्र गोधन / वाधस्वाशमनागो मे धर्म शर्मतमप्रद नतपाल महाराज गीत्यानुत ममाक्षर। रक्ष मामतनुत्यागी जराहा मलपातन. मानसादर्शसंक्रान्तं सेवे ते रूपमद्भुतम् / जिनस्योदयि सत्त्वान्तं स्तुवे चारूढमच्युतम् यतः कोपि गुणानुक्त्या नावाब्धीनपि पारयेत् / न तथापि क्षणाद्भक्त्या तवात्मानं तु पावयेत् // 54 // // 55 // // 56 // / // 57 // // 58 // // 59 // . 5