________________ // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // संवरविणिज्जराओ, मोक्खस्स पहो तवो पहो तासि / झाणं च पहाणंगं तवस्स, तो मोक्खहेऊयं / अंबर-लोह-महीणं, कमसो जह मल-कलंक-पंकाणं / सोज्झावणयणसोसे, साहेति जलाणलाइच्चा तह सोज्झाइसमत्था, जीवंबर-लोह-मेइणिगयाणं / झाण-जला-ऽणल-सूरा, कम्ममल-कलंक-पंकाणं तापो सोसो भेओ, जोगाणं झाणओ जहा निययं / तह ताव-सोस-भेया, कम्मस्स वि झाइणो नियमा जह रोगासयसमणं, विसोसण-विरेयणोसहविहीहि / तह कम्मामयसमणं, झाणाणसणाइजोगेहिं जह चिरसंचियमिंधण-मनलो पवनसहिओ दुयं दहइ / तह कम्मेंधणममिय, खणेणा झाणाणलो डहइ . जह वा घणसंघाया, खणेण पवणाहया विलिज्जंति। झाणपवणाबहूया, तह कम्मघणा विलिज्जंति न कसायसमुत्थेहि य, वाहिज्जइ माणसेहिं दुक्खेहि / ईसा-विसाय सोगा-इएहि झाणोवगयचित्तो सीयायवाइएहिं य, सारीरेहिं सुबहुप्पगारेहिं / झाणसुनिच्चलचित्तो, न वाहिज्जइ निज्जरापेही इय सव्वगुणाधाणं, दिट्ठादिट्ठसुहसाहणं ज्झा / सुपसत्थं सद्धेयं, नेयं झेयं च निच्चं पि. // 101 // // 102 // // 103 // // 104 // // 105 // 101