________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 40 // // 41 // थिरकयजोगाणं पुण, मुणीण झाणे सुनिच्चलमणाणं / गामम्मि जणाइण्णे, सुण्णे रण्णे व न विसेसो जो (तो) जत्थ समाहाणं, होज्ज मणो-वय-कायजोगाणं / भूओवरोहरहिओ, सो देसो झायमाणस्स कालो वि सो चिय, जहिं जोगसमाहाणमुत्तमं लहइ / न उ दिवसनिसावेलाइ-नियमणं झाइणो भणियं .. ज च्चिय देहावत्था, जियाण झाणोवरोहिणी होइ। झाइज्जा तदवत्थो, ठिओ निसण्णो निवण्णो वा सव्वासु वट्टमाणा, मुणओ जं देसकालचेट्ठासु / वरकेवलाइलाभं, पत्ता बहुसो समियपावा तो देसकालचेट्ठानियमो, झाणस्स नत्थि समयम्मि। जोगाणं समाहाणं, जह होइ तहा जइयव्वं आलंबणाइ वायण - पुच्छण-परियट्टणाऽणुचिंताओ। सामाइयाइं सद्धम्मावस्सयाइं च . विसमम्मि समारोहइ, दढदव्वालंबणो जहा पुरिसो। सुत्ताइकयालंबो, तह झाणवरं समारुहइ झाणप्पडिपत्तिकमो, होइ मणोजोगनिग्गहोईओ। भवकाले केवलिणो, सेसाण जहासमाहीए सुनिउणमणाइनिहणं, भूयहियं भूयभावणमणग्धं / अमियमजियं महत्थं, महाणुभावं महाविसयं झाइज्जा निरवज्जं, जिणाणमाणं जगप्पईवाणं। अणिउणजणदुण्णेयं, नय-भंग-पमाणगमगहणं तत्थ य मइदोब्बलेणं, तब्विहायरिय विरहओ वा वि। . णेयगहणत्तणेण य, णाणावरणोदएण च // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 //