________________ ही संसारे विहिणा, महिलारूवेण मंडिअं जालं।। बझंति जत्थ मूढा, मणुआ तिरिआ सुरा असुरा // 89 // विसमा विसयभुअंगा, जेहिं डंसिया जिआ भववणम्मि। कीसंति दुहग्गीहिं, चुलसीईजोणिलक्खसु // 9 // संसारचारगिम्हे, विसयकुवाएण लुक्किआ जीवा। हिअमहिअं अमुणंता, अणुहवंति अणंतदुक्खाई ' // 91 // हा हा दुरंतदुट्ठा, विसयतुरंगा कुसिक्खिआ लोए / भीसणभवाडवीए, पाडंति जिआण मुद्धाणं // 92 // विसयपिवासातत्ता, रत्ता नारीसु पंकिलसरम्मि। दुहिआ दीणा खीणा, रुलंति जीवा भववणम्मि // 93 // गुणकारिआई धणिअं, धिइरज्जुनियंतिआई तुह जीव / निअयाइं इंदिआई, वल्लिनिअत्ता तुरंगु व्व' // 94 // मणवयणकायजोगा, सुनिअत्ता ते वि गुणकरा हुंति / अनिअत्ता पुण भंजंति, मत्तकरिणु व्व सीलवणं ... // 95 // जह जह दोसा विरमइ, जह जह विसएहिं होइ वेरग्गं / तह तह विनायव्वं, आसन्नं से अ परमपयं // 96 // दुक्करमेएहिं कयं, जेहिं समत्थेहिं जुव्वणत्थेहिं / भग्गं इंदिअसिन्नं, धिइपायारं विलग्गेहिं // 97 // ते धन्ना ताण नमो, दासो हं ताण संजमधराणं / अद्धच्छीपिच्छरिओ, जाण न हिअए खडकंति // 98 // . किं बहुणा जइ वंछसि, जीव ! तुमं सासयं सुहं अरुअं। . ता पीअसु विसयविमुहो, संवेगरसायणं निच्वं // 99 //