________________ अधुवं जीविअं नच्चा, सिद्धिमग्गं विआणिआ। विणिअट्टिज्ज भोगेसु, आउं परिमिअमप्पणो // 77 // सिवमग्गसंठिआण वि; जह दुज्जेआ जीआण पण विसया।। तह अन्नं किंपि जए, दुज्जेअं नत्थि सयले वि // 78 // सविडं उब्मडरूवा, दिवा मोहेइ जा मणं इत्थी। आयहियं चिंतंता, दूरयरेणं परिहरंति // 79 // सच्चं सुअंपि सीलं, वित्राणं तह तवं पि वेरग्गं / वच्चइ खणेण सव्वं, विसयविसेणं जईणं पि // 80 // रे जीव ! मइविगप्पिय निमेससुहलालसो कहं मूढ ! / सासयसुहमसमतमं, हारिसि ससिसोअरं च जसं // 81 // पज्जलिअविसयअग्गी, चरित्तसारं डहिज्ज कसिणं पि / सम्मत्तं पि विराहिअ, अणंतसंसारिअं कुज्जा // 82 // भीसणभवकंतारे, विसमा जीवाण विसयतिण्हाओ। .. जीए नडिआ चउदसपुव्वी वि रुलंति हु निग्गोए // 83 // हा विसमा हा विसमा, विसया जीवाण जेहि पडिबद्धा / हिंडंति भवसमुद्दे, अणंतदुक्खाइं पावंता मायिंदजालचवला, विसया जीवाण विज्जुतेअसमा / खणदिवा खणनट्ठा, ता तेसि को हु पडिबंधो // 85 // सत्तु विसं पिसाओ, वेआलो हुअवहो वि पज़्जलिओ / तं न कुणइ जं कुविआ, कुणंति रागाइणो देहे // 86 // जो रागाईण वसे, वसम्मि सो सयलदुक्खलक्खाणं / जस्स वसे रागाई, तस्स वसे सयलसुक्खाई // 87 // केवल दुहनिम्मविए, पडिओ संसारसायरे. जीवो। जं अणुहवइ किलेसं, तं आसवहेउअं सव्वं // 88 // // 84 //