________________ मग्गाणुसारिभावो जायइ चरमम्मि चेव परिअट्टे / गुणवुड्डीए विगमे भवाभिनंदीण दोसाणं - // 17 // एअम्मि नाणदंसण-जोगाजोगेहिं देससव्वकओ। चउभंगो आराहग-विराहगत्तेसु सुअसिद्धो - // 18 // पढमो बालतवस्सी गीयत्थाणिस्सिओ व अग्गीओ। अण्णे भणंति लिंगी सम्मगमुणिमग्गकिरियधरो // 19 // तं मिच्छा जं फलओ मुक्खं आराहगत्तमिह पगयं / तं च ण एगंतेणं किरियाए भावसुन्नाए // 20 // जइणीए किरियाए दव्वेणाराहगत्तपक्खे य / सव्वाराहगभावो होज्ज अभव्वाइलिङ्गीणं // 21 // तह णिण्हवाण देसाराहगभावो अवट्ठिओ हुज्जा। तो परिभासा जुत्ता वित्तिं परिगिज्झ वुत्तुं जे // 22 // मग्गाणुसारिकिरिया जइणिच्चिय भावओ उ सव्वत्थ / जेणं जिणोवएसो चित्तो अपमायसारो वि // 23 // अण्णत्थ वि जमभिण्णं अत्थपयंतं जिणिंदसुअमूलं / अण्णो वि तयणुसारी तो देसाराहगो जुत्तो // 24 // पक्खंतरम्मि भणिओ गीयत्थाणिस्सिओ अगीओ सो। जो ऽणभिणिविट्ठचित्तो भीरू एगंतसुत्तरुई // 25 // लोइअमिच्छत्ताओ लोउत्तरियं तयं महापावं / इअ णेगंतो जुत्तो जं परिणामा बहुविगप्पा // 26 // पढमकरणभेएणं गंथासन्नो जई व सड्ढो वा। णेगमणयमयभेआ इह देसाराहगो णेओ // 27 // देसस्स भंगओ वा अलाहओ वा विराहगो बीओ। संविग्गपक्खिओ वा सम्मद्दिट्ठी अविरओ वा / // 28 // 88