________________ दुग्गयनारीणाया, जइ वि पमाणीकया हवइ भत्ती। तह वि अजयणाजणिआ, हिंसा अन्नाणओ होइ . // 6 // सुद्धासुद्धो जोगो, एसो ववहारदंसणाभिमओ। णिच्छयणओ उ णिच्छइ, जोगज्झवसाणमिस्सत्तं // 7 // जइ (अ) विहिजुयपूयाए, दुह्रत्तं दव्वमित्तहिंसाए / तो आहारविहारप्पमुहं साहूण किमदुटुं // 8 // . जावइओ आरंभो, तावइयं दूसणं ति गणणाए / अप्पत्तं कह जुज्जइ, अप्पं पि विसं च मारेइ . // 9 // "कक्कसवेज्जमसायं, बंधइ पाणाइवायओ जीवो"। .... इय भगवईइ भणियं, ता कह पूयाइ सो दोसो // 10 // आरंभो वि हु एसो, हंदि अणारंभओ त्ति णायव्वो। वहविरईए भणिअं, जमकक्कसवेयणिज्जं तु // 11 // धुवबंधिपावहेउत्तणं ण दव्वत्थयम्मि हिंसाए / धुवबंधा जमसज्झा, तत्ते इयरेयरासयया // 12 // // 1 // ॥धर्मपरीक्षा // पणमिय पासजिणिदं धम्मपरिक्खाविहिं पवक्खामि / गुरुपरिवाडीसुद्धं आगमजुत्तीहिं अविरुद्धं सो धम्मो जो जीवं धारेइ भवण्णवे निवडमाणं / तस्स परिक्खामूलं मज्झत्थत्तं चिय जिणुत्तं मज्झत्थो अ अणिस्सियववहारी तस्स होइ गुणपक्खो। . णो कुलगणाइणिस्सा इय ववहारम्मि सुपसिद्धं तुल्ले वि तेण दोसे पक्खविसेसेण जा विसेसु त्ति। . सा णिस्सियत्ति सुत्तुत्तिण्णं तं बिंति मज्झत्था / // 2 // // 3 // // 4 //