________________ मेहं णहं मणुस्सं वा, देवत्ति न लवे मुणी / उण्णए अंतलिक्खत्ति, इड्डिमंतत्ति वा वए / // 96 // दोसे गुणे य णाऊणं, जुत्तीए आगमेण य / गुणा जह ण हायंति, वत्तव्वं साहुणा तहा // 97 // महेसिणो धम्मपरायणस्स, अज्झप्पजोगे परिणिट्ठिअस्स / पभासमाणस्स हियं मियं च, करेइ भासा चरणं विसुद्धं // 98 / / चरित्तसोहीइ खवित्तु मोहं, लद्धं तओ केवलनाणलच्छिं। सेलेसिजोगेण सुसंवुडप्पा, अणुत्तरं पावइ मुक्खसुक्खं // 99 // तम्हा बुहो भासारहस्समेयं, चरित्तसंसुद्धिकए समिक्ख / जहा विलिज्जति हु रागदोसा, तहापवट्टिज्ज गुणेसु सम्मं // 100 // एवं(यं) भासरहस्सं, रइयं भविआण तत्तबोहत्थं / सोहिंतु पसायपरा, तं गीयत्था विसेसविऊ // 101 // .. ॥कूपदृष्टान्तविशदीकरण // नमिऊण महावीरं, तियसिंद-णमंसियं महाभागं / विसईकरेमि सम्मं, दव्वत्थए कूवदिटुंतं // 1 // सपरोवयारजणगं, जणाणं जह कूवखणणमाइटें / अकसिणपवत्तगाणं, तह दव्वत्थओ वि विण्णेओ ईसिं दुट्ठत्ते जं, एयस्य नवंगिवित्तिकारेणं। ' संजोयणं कयं तं, विहिविरहे भत्तिमहिकिच्च // 3 // इहरा कहं चि वयणं, कायवहे कह णु होज्ज पूयाए। न य तारिसो तवस्सी, जंपइ पुव्वावरविरुद्धं // 4 // संभावणे विसद्दो, दिटुंतोऽनणुगुणो पयंसेइ / सामण्णाणुमईए, सूरी पुण अंसओ बाहं // 2 // 85