________________ // 36 // // 37 / / // 38 // . // 39 // // 40 // // 41 // उवमासच्चा सा खलु, एएसु सदुवमाणघडिया जा // णासंभविधम्मग्गह - दुट्ठा देसाइगहणाओ एवं संच्चा भासा, सुआणुसारेण वन्निया चित्ता / भासाइ असच्चाए, सरूवमह कित्तइस्सामि सच्चाए विवरीया, होइ असच्चा विरहिणी तत्थ / दव्वाई चउभंगा, दसहा सा पुण सुए भणिआ कोहे माणे माया, लोभे पिज्जे तहेव दोसे अ। हासभए अक्खाइअ, उवघाए णिस्सिया दसमा . सा कोहणिस्सिया खलु, कोहाविट्ठो कहेइ जं भासं / जह ण तुमं मम पुत्तो, अहवा सव्वं पि तव्वयणं ठिइरसबन्धकराणं, हंदि कसायाण चेव अणुरूवं / पयडिप्पएसकम्मं, जोगा बझंति ण विरूवं दुट्ठयरा वा सच्चा, कोहाविट्ठाण जेण सप्पसरा / मिच्छाभिणिवेसक्रए, जीवाणं हंदि सा होइ सा माणणिस्सिया खलु, माणाविट्ठो कहेइ जं भासं / जह बहुधणवंतोऽहं, अहवा सव्वं पि तव्वयणं मायाइ णिस्सिया सा, मायाविट्ठो कहेइ. जं भासं / जह एसो देविंदो, अहवा सव्वं पि तव्वयणं सा लोभणिस्सिया खलु, लोभाविट्ठो कहेइ जं भासं / जह पुण्णमिणं माणं, अहवा सव्वं पि तव्वयणं सा पेम्मणिस्सिया खलु, पेम्माविट्ठो कहेइ जं भासं / . जह तुज्झ अहं दासो, अहवा सव्वं पि तव्वयणं सा दोसणिस्सिया खलु, दोसाविट्ठो कहेइ ज भासं / जह न जिणो कयकिच्चो, अहवा सव्वं पि तव्वयणं // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // 80