________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // अण्णह विरुज्झए किर, दोहि अ समएहि भासए भासं / वयजोगप्पभवा सा, भासा भासिज्जमाणि त्ति उवउत्ताणं भासा, णायव्वा एत्थ भावभास त्ति। .. उवओगो खलु भावो, णुवओगो दव्वमिति कट्ट ओहारिणी य एसा, सुआउ णायं इमंति ववहारा। संभावणा य निण्णय, हेउअसज्झ त्ति दट्ठव्वं भावे वि होइ तिविहा, दव्वे अ सुए तहा चरित्ते य। दव्वे चउहा सच्चा,- सच्चा मीसा अणुभया य . पढमा दो पज्जत्ता, उवरिल्लाओ अ दो अंपज्जत्ता। अवहारेउं सक्कइ, पज्जत्तण्णा य विवरीआ भासा चउव्विह त्ति य, ववहारणया सुअम्मि पन्नाणं / सच्चा मुस त्ति भासा, दुविह च्चिय हंदि णिच्छयओ. एत्तो च्चिय आणमणी, जाईए केवलाय णिहिट्ठा / पण्णवणी पण्णवणा, - सुत्ते तत्तत्थदंसीहिं . आराहणं पडुच्च वि, परिभासा चेव चउविहविभागे। सच्चंतब्भावे च्चिय, चउण्ह आराहगत्तं जं . एवं चउव्विहत्तं, पकप्पियं होज्ज जइ मई एसा।। सा ण जओ ववहारा-णुगयं वत्थु वि सुयसिद्धं तम्मी तव्वयणं खलु, सच्चा अवहारणिकभावेणं / आराहणी य एसा, सुअम्मि परिभासिया दसहा जणवयसंमयठवणा-णामे रूवे पडुच्चसच्चे य। . ववहारभावजोए, दसमे ओवम्मसच्चे य जा जणवयसंकेया, अत्थं लोगस्स पत्तियावेई / एसा जणवयसच्चा, पण्णत्ता धीरपुरिसेहि // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 //