________________ // 47 // // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // भगवइवित्तीइ पुणोऽतग्गुणविन्नाणओ समासाओ। एयं चेव य इटुं, पज्जायपरं व ठियवयणं वेओ थीवेआई, तत्थ पुलाओ उ होइ थीवज्जो। बउसपडिसेवगा पुण, हवंति सव्वेसु वेएसु सकसाओ अ तिवेओ, भणिओ उवसंतखीणवेओ वा। उवसंतखीणवेओ, णिग्गंथो तक्खए ण्हाओ रागो कसायउदओ, पुलायबउसा कुसीलभेआ अ। तत्थ सरागा णिग्गंथण्हायगा हुति गयरागा कप्पो ठियाऽठियप्पा, जिणकप्पाई व तत्थ सव्वे वि। कप्पे ठिएऽठिए चिय, पढमो तह थेरकप्पम्मि सकसाओ तिविहो वि य, कप्पाईआ णियंठयसिणाया। बउसपडिसेवगा पुण, जिणकप्पे थेरकप्पे वा पंचविहं तु चरितं, पढमा खलु तिन्नि तत्थ पढमजुगे / चउसु कसायकुसीलो, पिंग्गंथसिणायगा चरमे पडिसेवणा उ सेवा, संजलणोदयवसेण पडिकूला। मूलुत्तरपडिसेवी, तत्थ पुलाओ ण विवरीओ पंचण्हं अण्णयरं, पडिसेवंतो उ होइ मूलगुणे। उत्तरगुणेसु दसविहपच्चक्खाणस्स अण्णयरं इय भगवईइ भणियं, अण्णत्थ पराभिभोगओ छण्हं / पडिसेवगो उ. इट्ठो, मेहुणमित्तस्स एगेसिं उत्तरगुणेसु बउसो, भणिओ पडिसेवगो पुलागसमो। पण्णत्तीए अण्णत्थ देहबउसो दुहासेवी पडिसेवगो अ उत्तरगुणेसुथोवं विराहणं कुव्वं / ण्हायकसायकुसीला, णिग्गंथा पुण अपडिसेवी // 53 // // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 //