________________ इत्तो अ अप्पहाणे, पाहण्णमईइ पायडा होइ / तग्गयदोसाणुन्ना, इणमभिपेच्चेव भणियमिणं // 167 // संता तित्थयरगुणा, तित्थयरे तेसिमं तु अज्झप्पं / न य सावज्जा किरिया इयरेसु धुवा समणुमन्ना // 168 // अह ठवणाभावेणं, लिंगं अज्झप्पसाहयं इटुं / ता वत्तव्वं सा किं, तस्सेव उयाहु अण्णस्स // 169 // तस्सेव सा ण इट्ठा, किरिया सावज्जया जओ तस्स / असुहविगप्पणिमित्तं, पडिमासु य सा ण थोवा वि // 170 / / सुद्धकिरियाणिमित्ता, अह सिद्धी नणु हवेज्ज जीवाणं / पडिमासु वि तयभावा, तो ण हवे सा जओ भणिअं // 171 // जह सावज्जा किरिया, णत्थि य पडिमासु एवमियरा वि। तयभावे णत्थि फलं, अह होइ अहेउअं होइ // 172 // मणसुद्धिणिमित्तत्ता, पडिमाओ हुंति वंदणिज्जाओ। सा चेव य फलहेऊ, तेण ण दोसो जओ भणियं // 173 // कामं उभयाभावो, तह वि फलं होइ मणविसुद्धीए। तीए पुण मणविसुद्धीइ कारणं हुंति पडिमाओ // 174 // लिंगं वि पुज्जमेवं, मुणिगुणसंकप्पकारणत्तेणं / णेवं विवज्जयप्पा, जं सो सावज्जकम्मजुए // 175 // णिरखज्जकम्मजणियाऽणहसंकप्पं विणा ग य ण पुण्णं / तित्थयरगुणारोवा, सुहसंकप्पस्स संभवओ ... // 176 // जं गुणदोसणिमित्तं, सुहासुहत्तं तयं तु तयहीणं / जं पुण उभयविरहिअं, तं अज्झारोवबललब्भं // 177 // एवं सुहसंकप्पो, पडिमाओ होउ जिणगुणारोवा। उद्दिस्स निग्गुणे पुण, कह सो जुत्तो जओ भणियं // 178 // 61