________________ जइ लिंगमप्पमाणं, न नज्जई णिच्छएण को भावो / दट्ठण समलिंगं, किं कायव्वं तु समणेणं? // 143 // अप्पुव्वं दठूणं, अब्भुट्ठाणं तु होइ कायव्वं / साहुम्मि दिट्ठपुव्वे, जहारिहं जस्स जं जुग्गं // 144 // पासत्थाईणं पि हुँ, अववाएणं तु वंदणं कज्जं / जयणाए इहरा पुण, पच्छित्तं जं भणियमेअं // 145 // उप्पन्नकारणम्मी, कितिकम्मं जो न कुज्ज दुविहं पि। पासत्थादीआणं, उग्घाता तस्स चत्तारि // 146 // दुविहे किइकम्मम्मी, वाउलिआ मो णिरुद्धबुद्धीआ। आइपडिसेहियम्मी उवरिं आरोवणा गुविला // 147 // गच्छपरिरक्खणट्ठा, अणागयं आउवायकुसलेणं। . एवं गणाहिवइणा, सुहसीलगवेसणा कज्जा // 148 // बाहिं आगमणपहे, उज्जाणे देउले सभाए वा। . रच्छउवस्सयबहिया, अंतो जयणा इमा होइ . // 149 // मुक्कधुरा संपागडअकिच्चे चरणकरणपरिहीणे / लिंगावसेसमित्ते, जं कीरइ तारिसं वुच्छं // 150 // वायाइ नमुक्कारो, हत्थुस्सेहो अ सीसनमणं च। संपुच्छण अच्छण छोभवंदणं वंदणं वा वि . // 151 // जइ णाम सूइओ मि त्ति वज्जिओ वावि परिहरइ कज्जं / इति वि हु सुहसीलजणो, परिहज्जो अणुमती मा सा // 152 // लोए वेदे समए, दिवो दंडो अकज्जकारीणं / दम्मति दारुणा वि हु, दंडेण जहावराहेण // 153 // वायाए कम्मुणा वा, तह चेट्ठइ जह ण होइ से मन्नू। पस्सति जतो अवाय, तदभावे दूरओ वज्जे // 154 // 50 . ..