________________ // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // . // 40 // एसेव गमो णियमा, णिग्गंथीणं पि होइ पायव्वो / नाण? जो उ णेई, सच्चित्त अणप्पिणे जाव पंचण्हं एगयरे, उग्गहवज्जं तु लहइ सच्चित्तं / आपुच्छ अट्ठपक्खे, इत्थीसत्थेण संविग्गे संभोगपच्चयं पि हु, संकमणं होइ कारणतिएणं / सुत्तत्थदाणकिरिया, सीअणओ इत्थ चउभंगो संकमणे चउभंगो, पढ़मे आलोइअम्मि संसुद्धो। बितियम्मि बहुद्दोसा, जं भणियं कप्पभासम्मि . सीहगुहं वग्घगुहं, उदहिं च पलित्तगं च जो पविसे। असिवं ओमोयरिअं, धुवं से अप्पा परिच्चत्तो चरणकरणप्पहीणे, पासत्थे जो उ पविसए समणो। जयमाणए अ जहिउं, सो ठाणे परिच्चयइ तिण्णि एमेव अहाछंदे, कुसीलओसन्ननीअसंसत्ते। जं तिण्णि परिच्चयई, नाणं तह दंसण चरित्तं .. संविग्गेऽसंविग्गो, आलोइअ संकमं करेमाणो / सुद्धोऽसुद्धविवेगे, मग्गणया णवपुराणेसुं इय भणियं चरणट्ठा, दोसु असंविग्गयम्मि सच्छंदो। ववहारम्मि वि भणिया, पंजरभग्गम्मि जं जयणा इच्छा तुरिए भंगे, विणओ धम्मम्मि जत्थ उत्तरिओ। संभोगो तत्थ मओऽसंविग्गे सो भवे किह णु भिक्खुम्मि इमं भणियं, विसेसियो णियपयाण णिक्खेवा / होइ गणावच्छेइअ, आयरिआणं पि एस गमो संकमणं आयरिओवज्झाउद्देसणे वि तिण्हट्ठा। नाणे महकप्पसुए, विज्जाई दंसणे हेऊ 50 // 41 // // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 //