________________ // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // गुरुबलियत्तमईए, जो उ जिणासायणं कुणइ मूढो / सो गुरुतरपच्छित्तं, पावइ जमिणं सुए भणिअं तित्थयर पवयण सुअं, आयरिअंगणहरं महिड्डीयं / आसायंतो बहुसो, आभिणिवेसेण पारंची - अण्णं अभिधारेउं, अप्पडिसेहाइगच्छमणुपत्ते। दोण्हमुवालंभेणं, थेरा सम्मं ववहरंति पडिसेहग परिसिल्ले, एसा आरोवणा उ अविहीए। . बितिअ पए ते दो वि हु, सुद्धा अ पडिच्छगो विहिणा दुविहो सो उ वियत्तो, अवियत्तो चेव होइ वच्चंतो। मग्गिल्लेऽणच्चंतियलाभो वत्तस्स पुरिमम्मि खेत्तविवज्जिअमच्चंतिएसु लद्धं च गच्छइ पुरिल्ले। मग्गिल्लेऽणच्वंतियसहिओ जा णऽप्पिओऽवत्तो एगोऽणुग्गहखित्ते, लभइ सचित्तं तयं तु पुरिमस्स। वच्चंतम्मि गिलाणे, साहारणमागयाण भवे . खित्तम्मि खित्तिअस्सा, बाहिं पुण परिणओ पुरिल्लस्स। आसज्ज विपरिणाम, कहणेऽणेगाओं मग्गणया वीसज्जिअम्मि एवं, लहुअं अविसज्जिए अ आणाई / अवि य पडिच्छंताणं, लहुआ चउरो इमो अविही परिवारपूअहेळं, अविसज्जंता ममत्तदोसा वा / अणुलोमगिरा गज्झा, दुक्खं खु गुरुं विमोत्तुं जे नाणम्मि उ पक्खतिगे, सूरिउवज्झायसेसगापुच्छा / इक्किक्के पंचदिणे, अहवा पक्खेण इक्किक्के - अपडिच्छणम्मि लहुआ, विहिणा समुवागयस्सं एएणं / एगाइकारणागयपडिच्छणे हुंति चउगुरुआ 48 // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 //