________________ दोसविहवाणुरूवो, लोए दंडो वि किमुत उत्तरिए। तित्थुच्छेओ इहरा, णिराणुकंपा ण य विसोही // 319 // अहवा कज्जाकज्जे, जयाजयंते अ कोविदो गीओ। दप्पाजओ णिसेवं, अणुरूवं पावए दोसं // 320 // कप्पे अ अकप्पम्मि य, जो पुण अविणिच्छिओ अकज्जं पि। कज्जमिति सेवमाणो, अदोसवं सो असढभावो // 321 // जं वा दोसमयाणंतो, हेहंभूतो णिसेवए। हुज्जा णिद्दोसवं केण, विआणतो तमायरं // 322 // एमेव य तुल्लम्मि वि, अवराहपयम्मि वट्टिआ दो वि। तत्थ वि जहाणुरूवं, दलंति दंडं दुवेण्हं पि // 323 // एसेव य दिटुंतो, तिविहे गीअम्मि सोहिनाणत्ते / वत्थुसरिसो उ दंडो, दिज्जइ लोए वि पुव्वुत्तं // 324 // तिविहे तेगिच्छम्मि य, उज्जुअ वाउलणसाहणा चेव / पण्णवणमणिच्छंते, दिटुंतो भंडिपोएहिं . // 325 // सुद्धालंभेऽगीए, अजयणकरणकहणे भवे गुरुगा। कुज्जा व अतिपसंगं, असेवमाणे व असमाही // 326 // आयरिआई तम्हा, भिण्णा पडिसेवणाइभेएणं / पुरिसंतरे वि एसो, णेओ भणियं जओ जीए // 327 // पुरिसा गीआगीआ, सहासहा तह सढासढा केई। परिणामापरिणामा अइपरिणामा य वत्थूणं // 328 // तेह धिइसंघयणोभयसंपन्ना तदुभएण हीणा य / आयपरोभयनोभयतरगा तह अन्नतरगा य - // 329 // कप्पट्ठिआदओ वि य, चउरो जे सेयरा समक्खाया। साविक्खेयरभेआदओ अ जे ताण पुरिसाण // 330 // 45