________________ गुरुलहुपणगा आयंबिलम्मि एक्कासणे 17-18 य णिट्ठाइ / दसमाओ अट्ठमाओ, पुरिमड्ढे णिव्विगइअम्मि 19-20 // 307 / / छट्ठाओ णिव्विगइए 21, णिव्विइयम्मि य तहा चउत्थाओ 22 / आयंबिलाओ एक्कासणाओ तह णिव्विगइअम्मि 23-24 // 308 // पुरिमड्डणिव्विगइअं 25, कमेण पंतीसु णिव्विगइअंच 26 / एसो जंतण्णासो, णायचो आणुपुव्वीए . // 309 / / ववहाराविक्खाए, भणिओ जंतस्स एस विण्णासो। अवराहे मूलं चिय, जं साविक्खस्स बहुए वि . // 310 // जीअम्मि जंतरयणे, ठविआ पारंचिएऽणवठ्ठप्पे। ... आयरियउवज्झाया, सहावणिरवेक्खयाऽभावा // 311 // जिणकप्पिअपडिरूवो, चरमस्स दुगस्स होइ अहिगारी / एगागी कयतुलणो, मुत्ताविक्खो जओ भणियं // 312 // संघयणविरियआगमसुत्तत्थविहीए जो समुज्जुत्तो / णिग्गहजुत्त तवस्सी, पवयणसारे गहिअअत्थो. // 313 // तिलतुसतिभागमित्तो, वि जस्स असुहो ण विज्जई भावो। णिज्जूहणारिहो सो, सेसे णिज्जूहणा णत्थि // 314 // इय पच्छित्तणिमित्ताविक्खं समविक्ख जीयजंतम्मि। गणरक्खाविक्खं पिय, ववहारे को वि ण विरोहो. // 315 // नणु आयरिआदीणं साविक्खाणं कओ मओ भेओ। भण्णइ जं पच्छित्तं, दाणं चण्णं जओ भणियं // 316 // कारणमकारणं वा, जयणाजयणा व नत्थऽगीयत्थे। . एएण कारणेणं, आयरिआई भवे तिविहा - // 317 // कज्जाकज्ज जयाजय, अविजाणंतो अगीअ जं सेवे। सो होइ तस्स दप्पो, गीए दप्पाऽजए दोसा / // 318 // 44