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________________ पुरिसा खलु कयकरणा, बहुविहतवकरणभावियसरीरा / तह हुँति अकयकरणा, छट्ठाइअभावियसरीरा // 295 / / कयकरणा वि य दुविहा, साविक्खा खलु तहेव णिरवेक्खा। णिरविक्खा जिणमाई, साविक्खा आयरिअमाई // 296 // अकयकरणा वि दुविहा, अहिगया अहिगया य बोधव्वा / समहीअम्मि अहिगया, पकप्पि इहरा उ अणहिगया // 297 // केइ पुण अहिगयाणं, इह कयकरणत्तमेव इच्छंति / जं आयतगा जोगा, वूढा खलु तेहि णियमेणं // 298 // ते वि य थिरा अ अथिरा, हुंति दुभेआ थिरा तहिं ते उ। जे दढधिइसंघयणा, तव्विवरीआ पुणो अथिरा // 299 // गीयत्थो कयकरणो, थिरो अ जं सेवए तयं दिज्जा / इयरम्मि होइ इच्छा, सुलहं जंतेण दाणं तु // 300 // बारस गिहाइ तिरिअं, वीसं च अहोमुहाइं गेहाई।। ठाविज्ज तओ दुगदुगहाणीई दसाइगेहाइं . // 301 // जा पणवीसइपंती, दुगिहा छव्वीसिआ अ एगगिहा / कयकरणायरिआई, ठप्पा पढमाइगेहेसु // 302 // मूलाओ मासगुरुए, छेयाओ मासलहुअठाणम्मि। छग्गुरुआओ भिन्ने, गुरुम्मिं लहुअम्मि छल्लहुआ // 303 // चउगुरुआ चउलहुआ, वीसइराइंदियम्मि.गुरुलहुए। मासगुरुमासलहुआ, गुरुम्मि लहुअम्मि पन्नरसे // 304 // गुरुलहुपणवीसइआ, गुरुलहुदसयम्मि 9-10 वीसदिण गुरुआ। गुरुपंचयम्मि 11 लहुपंचयम्मि लहुवीसराइदिणा 12 // 305 // गुरुलहुपण्णरसाओ, दसमे तह अट्ठमम्मि य तवम्मि 13-14 / गुरुलहुदसयाओ पुण, छट्ठम्मि तहा चउत्थे य 15-16 // 306 / / 43
SR No.004455
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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