________________ // 235 // // 236 // // 237 // // 238 // // 239 // // 240 // बितियरे अम्हं खलु, जह वडवाए उ अन्नआसेणं। जं जायइ अविदिण्णे, मुल्ले तं आसियस्सेव उब्भामिआइ जायइ, महिलाए जस्स तस्स तं सव्वं / इय अम्हाण वि एवं, भणंति पुण समणिपक्खत्था रायसमक्खं सयले, भोगभरे साहिए जहा दुण्हं। . दंडो उब्भामगए, दाणं तह,अम्ह इय अण्णे पुणरवि संजइपक्खा, भणंति खरिआइ अण्णखरएण / जं जायइ तं खरिआहिवस्स एवं तु अम्हाणं गोणीणं संगिल्लं, नटुं अडवीइ अन्नगोणेणं / ' जायाई वच्छगाई, गोणाहिवई उ गिण्हंति उब्भामिय पुव्वुत्ता, अहवा णीआ य जा परविदेसं / तस्सेव उ सा भवती, एवं अम्हं तु आवति इयरे भणंति बीअं, तुझं नीअं तु खित्तमन्नं तं / तं होइ खित्तिअस्सा, एवं अम्हं तु आभवति . स्नो धूआओ खलु, न माउछंदाउ वा उ दिज्जति / ण य पुत्तो अभिसिच्चइ, तासिं छंदेण एवम्हं एमाइ उत्तरुत्तरदिटुंता बहुविहा ण हु पमाणं / पुरिसुत्तरिओ धम्मो, होइ पमाणं पवयणम्मि एयं पसंगभणियं इत्तो वुच्छं सुअम्मि आभव्वं / उवसंपया दुहा इह, अभिधारते पढ़ते य इक्किक्का वि य दुविहा, अणंतरा तह परंपरा चेव / दुण्हं अणंतरा खलु, तिगमाईणं परंपरया सट्ठाणे अभिधारिय-णिवेअणा जइ इमा उ अच्छिण्णा। छिण्णाइ जं तु लद्धं, तं अकहंतस्स पच्छित्तं - 30 // 241 // // 242 // // 243 // // 244 // || 245 // // 246 //