________________ // 199 // // 200 // // 201 // // 202 // // 203 // // 204 // जइ पुण समत्तकप्पो, दुहा ठिओ होज्ज तत्थ चउरो य। इयरे ते खलु अपहू, दो वि पहू पुण इयरणिस्सा एगागिस्स उ दोसा, असमत्ताणं च तेण थेरेहिं / एस ठविआ उ मेरा, इति व हु मा हुज्ज एगागी दुगमाइ समा सुत्तत्थुवसंपन्ना लहंति हु समत्ता / पुव्वठिआ तह पच्छागया वि सुत्तोवसंपन्ना पुच्छातिगेण दिवसं, सत्तहिँ पुच्छाहिँ मासिअं हरइ। अक्खित्तुवस्सए लघुमासो ण लहे अविहिकहणे कायव्वो उद्देसो, उवस्सयाणं जहक्कम तेणं / संविग्गबहुसुआण वि, पुच्छाइ जहिच्छमाहवइ गामंतरे वि पुढे अवितहकहणम्मि जं समब्भेइ। सो लहइ तं ण अण्णो, मायाणियडिप्पहाणो उ वासासुं अमणुण्णा, हुंति ठिया जे उ वीसुमसमत्ता। ते णो लहंति खित्तं, लहंति समणुण्णया हुंता . तेसिं जो रायणिओ, थेरो परिआयओ पहू सो उ। खित्ते तत्थ य लाहो, सव्वेसि होइ सामन्नो वीसुं ठिएसु असमत्तकप्पिएसुं समत्तकप्पी उ। जो एइ तस्स खित्तं, समगं पत्ताण समभागं समणुन्नयाविहाणावसरम्मि समागए समत्तम्मि। साहारणं तु खित्तं, समत्तया जं समा दोण्हं साहारणट्ठियाणं, जो भासइ तस्स तं हवइ खित्तं / वारगतद्दिणपोरसिमुहुत्त भासेइ जो जाहे आवलिआ मंडलिआ, घोडगकंडूयणेण भासते। बलिआईं उवरिमुवरि, जा अट्ठासीइसुत्ताई 34 // 205 // // 206 // / 207 // // 208 // // 209 // // 210 //