________________ उत्तरगुणाण विरहा, जइ दव्वत्तं तु हुज्ज एयम्मि / ता तमवेक्खोवहिअं, हविज्ज छठे वि गुणठाणे // 163 // ववहारस्स पयाणं, सुत्तग्गहणं चरणकिरियाए / उस्सग्गओ त्ति तेणं, साहू ववहारिणो भावे // 164 // एवं सुओवएसा, ववहारिपरूवणा कया लेसा। . ववहरिअव्वपरूवणमित्तो.अ कमागयं वुच्छं // 165 // लोए चोराईआ, णिज्जूढा तह य हुंति दव्वम्मि। ववहरिअव्वा वंका, उज्जू पुण होंति भावम्मि // 166 // लोउत्तरिओ दव्वे, सोहिं परपच्चएण जो कुणइ। भावे सब्भावोवट्ठिओ अगीओ व गीओ वा // 167 // सुजओ अकुडिलवित्ती, कारणपडिसेवओ अ आहच्च / पियधम्माइगुणजुओ, ववहरिअव्वो हवंइ भावे // 168 // कारणजयणाजणिए, चउभंगे भावओ उ भंगतिगं / बहुदोसवारणत्थं, ववहरिअव्वो विपक्खो वि . // 169 // ववहरियव्वं तेसिं, उवएसा सोहिओ अ जं मुक्खं / भणिअंच आभवंते, पायच्छित्ते य तं दुविहं // 170 // खेत्ते सुअ सुहदुक्खे, मग्गे विणए अ आभवंतं तु। पंचविहमित्थ खित्तं, विहिणानुन्नायमणुरूवं // 171 // पुव्विं विणिग्गयाणं, समगं पत्ताण होइ सव्वेसिं। साहारणं तु खेत्तं, जइ समगं चेवऽणुण्णवियं // 172 // वीसत्थो जइ अच्छइ, पच्छा पत्तो वि सो ण खेत्तपहू। . किं पुण समगं पत्तो, दप्पा अणणुण्णवंतो उ // 173 // गेलण्णवाउलो पुण, अणणुण्णवणे वि होइ खित्तपहू। खवगो वि पारणे जइ, अणाउलो कारणावण्णो / // 174 // // 10 // 32