________________ // 151 / / // 152 // // 153 // // 154 // // 155 // // 156 // सोवाहणेण पाएण पडिहओ त्ति य कउत्तरु व्व णरो / गीथत्थोवालद्धों, छलग्गही उत्तरो भणिओ वसभेण वसभसागारियस्स विरसस्स चव्वणे व्व रसो। जस्स ण विहलत्थस्स उ, सो चव्वाओ समक्खाओ कहिए कहिए कज्जे, बहिरो ण सुअंमए त्ति भासंतो। गुंठसमाणो मरहट्ठमोहकरलाडमाइल्लो सो अंबिलो ण जस्स उ, फरुसाइ गिराइ कज्जसंसिद्धी / एए अट्ठ वि तइआ, गिद्धम्मा आसि कालम्मि जेहिं कया ववहारा, ण हु मण्णिज्जंति अण्णरज्जेसु / अट्ठ वि अकज्जकारी, दुव्ववहारी इमे आसी इहलोअम्मि अकित्ती, परलोए दुग्गई धुवा तेसिं / तित्थयराणाणाए, जे ववहारं ववहरंति तेण ण बहुस्सुओवी, होइ पमाणं अणायकारी उ। नाएण ववहरंतो, पमाणमण्णे जहा अट्ठ पढमे उ पूसमित्ते, वीरे सिवकोट्ठगेय अज्जासे / अरहन्नग धम्मंतग, खंदिल गोविंददत्ता य एते उ कज्जकारी, तगराए आसि तम्मि उ जुगम्मि / जेहिं कया ववहारा, अक्खोभा अन्नरज्जेसु. इहलोअम्मि य कित्ती, परलोए सुग्गई धुवा तेसि / आणाइ जिणिदाणं, जे ववहारं ववहरंति जो एवं पियधम्मो, परिवाडितिगेण गहिअसुत्तत्थो / ववहरइ भावसारं, सो ववहारी हवे भावे भावेणं ववहारी, इत्तो संविग्गपक्खिओ वि हवे। जम्हा सो मज्झत्थो, ववहारत्थेसु निउणो य 31 // 157 // // 158 // // 159 // // 160 // // 161 // // 162 //