________________ सीसे पडिच्छए वा, कुल गण संघे व जो उ समदंसी। ववहारसंथवेसु अ, सो सीअघरोवमो संघो // 139 // गिहिसंघायं जहिउं, संजमसंघायगं उवगएणं / नाणचरणसंघायं, संघायंतो हवइ संघो // 140 // नाणचरणसंघायं, रागद्दोसेहिं जो विसंघाए / सो संघायइ अबुहो, गिहिसंघायम्मि अप्पाणं // 141 // नाणचरणसंघायं, रागद्दोसेहिं जो विसंघाए / सो भमिही संसारं, चउरंगतं अणवदग्गं * // 142 // दुक्खेण लहइ बोहिं, बुद्धो वि य न लभई चरित्तं तु।' उम्मग्गदेसणाए, तित्थयरासायणाए अ // 143 // उम्मग्गदेसणाए, संतस्स य छायणाइ मग्गस्स। बंधइ कम्मरयमलं, जरमरणमणंतयं घोरं // 144 // पव्वज्ज खित्त कालं, णाउं उवसंपयं च पंचविहं / तो संघमज्झयारे, ववहरियव्वं अणिस्साए // 145 // गज्झो बहुस्सुअकओ, सुत्तुत्तिण्णो वि किं ण ववहारो। अपसत्था य पसत्था, ववहारी जं दुहा भणिया // 146 // तगराए णगरीए, एगायरियस्स पासि णिप्फण्णा / सोलस सीसा तेसिं, अव्ववहारी इमे अट्ठ // 147 // कंकडुए कुणिमे तह, पक्के वि य उत्तरे अ चव्वाए। बहिरे गुंठसमाणे, अट्ठमए अंबिले होइ // 148 // कंकडुओ सो जस्स उ, सिद्धि ण उवेइ जाउ ववहारो। . कुणिमो जो न विसुज्झति, दुच्छिज्जो जस्स ववहारो // 149 // पक्को पडणा पागागमणा वा हंदि पक्कफलसरिसो। पक्कुल्लावभया वा, जस्स ण कज्जं परे दिति // 150 // 30 // 101