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________________ // 127 // // 128 // // 129 // // 130 // // 131 // // 132 // संघो गुणसंघाओ, संघायविमोअगो अ कम्माणं / रागद्दोसविमुक्को, होइ समो सव्वजीवाणं सो खलु णो अपमाणे, सुओवएसेण ववहरंतो उ। इयरो अपमाणं चिय, न णाममित्तेण जं संघो एगो साहू एगा, य साहुणी सावओ व सड्डी वा / आणाजुत्तो संघो, सेसो पुण अट्ठिसंघाओ संघो महाणुभावो, कज्जे आलंबणं सया होइ। णगराईआ तत्थ उ, दिटुंता जं सुए भणिया परिणामियबुद्धीए, उववेओ होइ समणसंघो उ। कज्जे णिच्छियकारी, सुपरिच्छियकारगो संघो किह सुपरिच्छियकारी, इक्कं दो तिन्नि वार पेसविए / ण वि णिक्खिवए सहसा, को जाणइ नागओ केण नाऊण परिभवेणं, नागच्छेती ततो उ णिज्जुहणा / . आउट्टे ववहारो, एवं सुविणिच्छकारी उ . आसासो वीसासो, सीअघरसमो अ होइ मा भीहि / अम्मापीतिसमाणो, सरणं संघो उ सव्वेसि सीसो पडिच्छओ वा, आयरिओ वा ण सोग्गइं णेइ। जे सच्चकरणजोगा, ते संसारा विमोइंति सीसो पडिच्छओ वा, आयरिओ वावि एहिआ एए। जे सच्चकरणजोगा, ते संसारा विमोइंति सीसो पडिच्छओ वा, कुल गण संघो न सोग्गइं णेइ / जे सच्चकरणजोगा, ते संसारा विमोइंति सीसो पडिच्छओ वा, कुल गण संघो व एहिआ एए। जे सच्चकरणजोगा, ते संसारा विमोइंति // 133 // // 134 // // 135 // // 136 // // 137 // // 138 // 29
SR No.004455
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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