________________ भणइ अ अहिक्खिवंतो, दुव्ववहारीण सिढिलचरणाणं / णो भे सच्चं कहणं, मुद्धाणं धंधणं एवं // 115 // ओसन्नचरणकरणे, सच्चव्ववहारिया दुसद्दहिया। चरणकरणं जहंतो, सच्चव्ववहारियं पि जहे // 116 // जइआणेणं चत्तं, अप्पणओ नाणदंसणचरित्तं / तइआ तस्स परेसुं, अणुकंपा णत्थि जीवेसु // 117 // भवसयसहस्सलद्धं, जिणवयणं भावओ जहंतस्स। . जस्स ण जायं दुक्खं, तस्स ण दुक्खं परे दुहिए . // 118 // संसारविरत्तस्स उ, आणाभंगे महब्भयं होइ / गारवरसिअस्स पुणो, जिणआणाभंजणं कीला // 119 // जेसिं भग्गवयाणं, उम्मग्गपरूवणं णिया वित्ती / तेसिमकयपुण्णाणं, सुविसुद्धपरूवणं दूरे // 120 // आयारे वतॄतो, आयारपरूवणे असंकियओ। आयारपरिब्भट्ठो, सुद्धचरणदेसणे भइओ पण भइओ .. // 121 // संविग्गोऽणुवएसं, ण देइ दुब्भासिअं कडुविवागं / जाणतो देइ तयं, पवयणणिद्धंधसो लुद्धो // 122 // ता अम्हे अपमाणं, कय त्ति सोऊण भणइ मज्झत्थो / पढमं तित्थयरो च्चिय, पमाणमम्हं तओ अण्णे // 123 // तित्थयरे भगवंते, जगजीववियाणए तिलोअगुरू / जो ण करेइ पमाणं, ण सो पमाणं सुअहराणं // 124 // तित्थयरे भगवंते, जगजीवविआणए तिलोअगुरू। .. जो उ करेइ पमाणं, सो उ पमाणं सुअहराणं // 125 // अह बिंति दुव्वियड्डा, एयं इक्को तुम भणसि सव्वं / ता संघो अपमाणं, कओ त्ति सोऊण सो भणइ // 126 // 28