________________ // 103 // // 104 // // 105 // // 106 // // 107 // // 108 // गुरुदिन्ना वि हु एसा, थेराणं विमइओ विणस्सिज्जा। तयदिन्ना वि हु तेसि, उवगमओ हुज्ज जं भणियं •आसुक्कारोवरए, अट्ठांविए गणहरे इमा मेरा। चिलिमिलि हत्थाणुना, परिभवसुत्तत्थहावणया एस समुक्कसिअव्वे, इय आयरिअस्स चैव वयणम्मि / दोसगुणे णाऊणं, सुव्वइ थेराण भयणा य ण य गुरुआणाभंगो, भावाणुन्नं पडुच्च इह णेओ। कज्जो दुट्ठच्चाओ, एसा वि हु हंदि गुरुआणा जंपि य महाणिसीहे, भणियं कुगुरुस्स संघबज्झत्तं / तं पि य जुज्जइ सम्म, दिसावहारं विणा कह णु मज्झत्थाण बहूणं, तम्हा सक्खं दिसं तु अवहरइ। . बलिअयरे वयणमिणं, दुव्ववहारे सपरिवारे कज्जम्मि कीरमाणे, पक्खग्गहणेण रागदोसेहिं / . कि संघो मज्झत्थो, अच्छइ गुणरयणपुन्नो वि .. बलवंतेहिं इमेहिं कज्जे पक्खेंण कीरमाणम्मि। जुत्तमजुत्तं वुत्तुं, लब्भइ अन्नो ण य उआहु जुत्तं जाणसि तं भण, इय जइ तं केइ बिंति निउणमई। णाएण तो पयंपइ, अणुमण्णेऊण सो संघं संघो महाणुभागो, अहं च वेदेसिओ इह सयं च। संघसमिई ण जाणे, तं भे सव्वं खमावेमि अन्नन्ना समिईणं, ठवणा खलु तम्मि तम्मि देसम्मि। गीयत्थजणाइन्ना, अदेसिओ तो ण जाणामि संघं अणुमण्णेउं, परिसग्गहणं करेइ सो पच्छा / सा खलु सुव्ववहारा, दोसु वि पक्खेसु मज्झत्था // 109 // // 110 // // 111 // // 112 // // 113 // // 114 // 27