________________ // 79 // // 80 // // 81 // // 82 // // 83 // // 84 // सगणे अणरिहगीयंतियम्मि पुव्विं तओ अ अण्णत्थ / संभोइआण पासे, तओ असंभोइआणं पि पासत्थाणं संविग्गपक्खिआणं तओ सउज्जोअं। तत्तोऽसंविग्गाणं, पासे सारूविआईणं अब्भुट्ठिए उ काउं, दाउं वा समणलिंगमित्तरियं / तेसि पि य कायव्वो, पडिरूवो तत्थ विणओ अ आहारोवहिसेज्जाएसणमाईसु तत्थ जइअव्वं / सिक्ख त्ति पए ण पुणो, अणुमोअणकारणे दुट्ठो अलसे वा परिवारे, तयभावे सिद्धपुत्तमाईणं / अव्वुच्छित्तिकरस्स उ, भत्तिं कुणह त्ति जंपंतो दुविहासईइ तेसिं, आहाराई करेइ सो सव्वं / . पणहाणीइ जयंतो, हुज्जा अत्तट्ठमवि एवं एसो य पुरिसकारो, तस्स तया णेव दोसमब्भेइ / जयणाविसयत्तणओ, रागद्दोसाण विरहा य तम्हा छेयत्थविऊ, मज्झत्थो चेव होइ ववहारी। अन्नायनाणभारो, णो पुण माई मुसावाई जं एगस्स बहूण व, आगाढे कारणम्मि णेगविहे। माइमुसावाईणं, असुईणं पावजीवीणं .. जावज्जीवं सुत्ते, कज्जाकज्जट्ठिइं हणंताणं / पडिसिद्ध णियदोसा, आयरियत्ताइदाणं तु आहारमाइगहिओ, कज्जाकज्जट्टिइं तु सो हणइ / जह कम्मि वि नगरम्मी, कज्जम्मि समागओ सूरी णाएण तेण छिनो, ववहारो सो सुओवइटेणं / कुलगणसंघेहिँ तओ, कओ पमाणं गुणड्डो त्ति // 85 // // 86 // // 87 // // 88 // // 89 // // 90 // 25