________________ // 70 // कप्पस्स उ णिज्जुत्ति, ववहारस्सेव परमनिउणस्स / जो अत्थओ ण याणइ, ववहारी सो णऽणुण्णाओ // 67 // कप्पस्स उ णिज्जुत्ति, ववहारस्सेव परमनिउणस्स / जो अत्थओ वियाणइ, ववहारी सो अणुण्णाओ * // 68 // इत्तो अ दव्वओ भावओ अ अपरिच्छयम्मि इच्छंते / गच्छस्साणुन्नाए, पडिसेहो दंसिओ सुत्ते / // 69 // . दव्वे परिच्छओ खलु, सच्चित्ताई णिउत्तवावारो। दंसणनाणचरित्ते, तवे अ विणए अ भावम्मि कम्माण णिज्जद्धा, इच्छंति गणस्स धारणं साहू। . णो पूयटुं सा पुण, अपरिच्छन्नेहिँ कह लब्भा ? // 71 // णिज्जरहेउववसिया, पूअं पि अ इत्थ केइ इच्छंति / सा वि य बहुतरपूअगगुणाण हेउ ति ण णिसिद्धा // 72 // लोइअधम्मणिमित्तं, पउमाई खाणिए तलावम्मि। सेवंतो व्व ण दुट्ठो, पूअं पि गणे पडिच्छंतो / / 73 // पूआसक्काराणं, जं पुण उववूहणं पडिक्कुटुं। . साभिस्संगं चित्तं, पडुच्च तं न उण णिस्संगं / / 74 // तित्थपभावगपूआ, जिणे अ तित्थे अ पज्जवसिअ त्ति। इट्ठा सा वि य ण हवे, अणिच्छियत्ते जओ भणियं // 75 // जह जह बहुस्सुओ संमओ अ सीसगणसंपरिवुडो अ। अविणिच्छिओ अ समए, तह तह सिद्धंतपडिणीओ // 76 // इत्तो लक्खणजुत्तो, असमत्तसुओ णिरुद्धपरिआओ। जइ इच्छिज्जा देसेऽहीए देसस्स अज्झयणं // 77 // तो सो ठावेयव्वो, गणे समुच्छेयकप्पकज्जे वि। . णो अण्णह त्ति मेरा, गिण्हइ पच्छा स देसं तु // 78 // 24