________________ णियमइविगप्पिओ च्चिय, ववहारो जइ वि संपयं बहुलो। सुत्तायरणाणुगया, तह वि हु किरिया ण वुच्छिना / // 180 / / आगमववहारीण वि, वुच्छेए संजमो ण वुच्छिन्नो। तत्तो णिज्जूढाओ, पायच्छित्तस्स ववहारा // 181 // संपयमवि तं विज्जइ, विसेसहीणं पि पुव्वपच्छित्ता / ण य णत्थि चक्किपागयगिहदिटुंतो इहं णेओ * // 182 // चरमा दो पच्छित्ता, वुच्छिना तह य पढमसंघयणं / चोद्दसपुव्विम्मि तओ, अट्ठविहं होइ जा तित्थं // 183 // आलोअणपडिकमणे, मीसविवेगे तवे च उस्सग्गे। एए छ प्पच्छित्ता, होति णियंठे पुलागम्मि // 184 // बउसपडिसेवगाणं, पायच्छित्ता हवंति सव्वे वि। थेराण जिणाणं पुण, चरमदुगविवज्जिआ अट्ठ // 185 // आलोअणा विवेगा, हुंति णियंठे दुवे उ पच्छित्ता / एगं चिय पच्छित्तं, विवेगणामं सिणायम्मि // 186 // अट्टविहं पच्छित्तं, छेओ मूलं च णत्थि सामइए। थेराण जिणाणं पुण, जाव तवो छव्विहं होइ // 187 // छेओवट्ठावणिए, पायच्छित्ता हवंति सव्वे वि। थेराण जिणाणं पुण, मूलंतं अट्ठहा होइ // 188 // परिहारविसुद्धीए, मूलंता अठ्ठ होति पच्छित्ता / थेराण जिणाणं पुण, छेयाइविवज्जिआ हुंति // 189 // जा तित्थं अणुवित्ती, दुण्ह णियंठाण संजयाणं च / चउरो गुरुआ मासा, ता पच्छित्तस्स निन्हवणे // 190 // दिति करिति य एयं, णवरि उवाएण एत्थ दिटुंतों। धणिअस्स धारगस्स य, संते विभवे असंते य / // 191 // 16