________________ // 168 // // 169 // // 170 // // 171 // // 172 // // 173 // एवं आयरिआदी, चउदसपुव्वादि आसि पुव्वं तु। इण्डिं जुगाणुरूवा आयरिआ हुति णायव्वा जिणवयणतिव्वरुइणो, इय इण्डिं मूलगुणजुअस्सा वि / भावगुरुत्तं जुत्तं, वइरेगेणं जओ भणियं गुरुगुणरहिओ अ इहं दट्ठव्वो मूलगुणविउत्तो जो। ण उ गुणमित्तविहूणो, त्ति चंडरुद्दो उदाहरणं जे उ सयं पासत्था, पासत्थविहारिणो अहाछंदा / तेसु ण जुजंति इमे, पुक्खरिणीपमुहदिटुंता ण हु सव्वह वेहम्मे, दिटुंतो जुत्तिसंगओ होइ। जह अन्नवस्स धूलीभूमीइ अणोरपारस्स केसिंचि णाममित्ता, इड्डीरससायगारवरयाणं। . होइ गुरुभावदप्पो, सो मूलमणत्थरासीणं जं भणियं पच्छित्तं, जावइअं पिंडियं हवइगत्थ / तत्तो चउग्गुणं चिय, गाहिवइणो पमत्तस्स अपमत्तस्स य गच्छं, असारयंतस्स चरिमपच्छित्तं / / अकयणियदुट्ठसीस-च्चायस्स य संघबज्झत्तं कुगुरुणं सिरिकारं, फेडित्तु गणंतरम्मि पविसित्ता। कायव्वोवाएणं, सीसेणं घोरतवचरिआ। जो पुण अत्तट्ठीणं, ण पयच्छइ अक्खरे णिएसट्टे / सो सव्वसंघबज्झो, कायव्वो होइ णीईए होर्हिति अद्धतेरसवाससयाइक्कमेण एरिसया। कुगुरूं तत्थ वि केई, महाणुभावा भविस्संति तम्हा पयट्टिअव्वं, सम्मं निउणं गुरुं णिहालेउं / होयव्वं भीएणं, गयाणुगतिएण वा ण पुणो 15 // 174 // // 175 / / // 176 // // 177 // // 178 // // 179 //